Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिषेक कुमार सिंह |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अभिषेक कुमार सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
नशे की जीत होती है शराबी हार जाता है
ये नफ़रत खेल है जिसमें खिलाड़ी हार जाता है

जुए की लत के ताले की जो चाभी हार जाता है
युधिष्ठिर की तरह वह पाई-पाई हार जाता है

अहिंसा जीतती है एक दिन आदर्श का मंदिर
मगर तब तक अहिंसा का पुजारी हार जाता है

नये फैशन के धागे जब लिपट जाते हैं चरखे से
नुमाइश जीतने लगती है गाँधी हार जाता है

ये जीवन मन की इच्छाओं से लम्बा युद्ध है जिसमें
जरा-सी चूक होते ही सिपाही हार जाता है

अनोखी बात होती है मुहब्बत की लड़ाई में
जिसे भी जीतनी होती है बाजी हार जाता है

तुम्हें बस यह समझना है चमन को चाहनेवालो
परिंदे एकजुट हों तो शिकारी हार जाता है
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,192
edits