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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=वो पता ढूँढें हमारा / डी. एम. मिश्र;
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
रक्त का संचार है पर्यावरण
साँस की रफ़्तार है पर्यावरण
मन खिले, आँगन खिले, उपवन खिले
प्रकृति का श्रृंगार है पर्यावरण फूल, फल या छाँव की ख़्वाहिश तो फिर से अब तैयार समृद्धि का भी द्वार है पर्यावरण
जन्म से लेकर मरण तक साथ दे
पेड़ रोते हैं कुल्हाड़ा देखकर
किस क़दर लाचार है पर्यावरण
</poem>