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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमर पंकज |अनुवादक= |संग्रह=हादसों...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=अमर पंकज
|अनुवादक=
|संग्रह=हादसों का सफ़र ज़िंदगी / अमर पंकज
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हवाओं में जो उड़ते हैं कहाँ क़िस्मत बदलते हैं,
बड़े नादान हैं जो चाँद छूने को मचलते हैं।
फ़ज़ा में रंग है लेकिन नहीं रंगीन है होली,
उदासी छा रही हर सू तो क्यों हम रंग मलते हैं।
तुम्हारी चीख सुनकर तो रहा मैं चुप मगर अक्सर,
विवश बेचैन रातों में मेरे भी अश्क ढलते हैं।
अजब है इश्क़ की दुनिया अजब है रीत भी इसकी,
डगर ऐसी जहाँ मज़बूत दिल वाले फिसलते हैं।
सुलझती ही नहीं रिश्तों की उलझन क्या करे कोई,
रहे हम दूर ही सब दिन भले हम साथ चलते।
‘अमर’ ख़ुद को भुलाकर प्यार में पागल बनो पहले,
जहाँ अँधा नहीं हो प्यार संशय कीट पलते हैं।
</poem>
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|रचनाकार=अमर पंकज
|अनुवादक=
|संग्रह=हादसों का सफ़र ज़िंदगी / अमर पंकज
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<poem>
हवाओं में जो उड़ते हैं कहाँ क़िस्मत बदलते हैं,
बड़े नादान हैं जो चाँद छूने को मचलते हैं।
फ़ज़ा में रंग है लेकिन नहीं रंगीन है होली,
उदासी छा रही हर सू तो क्यों हम रंग मलते हैं।
तुम्हारी चीख सुनकर तो रहा मैं चुप मगर अक्सर,
विवश बेचैन रातों में मेरे भी अश्क ढलते हैं।
अजब है इश्क़ की दुनिया अजब है रीत भी इसकी,
डगर ऐसी जहाँ मज़बूत दिल वाले फिसलते हैं।
सुलझती ही नहीं रिश्तों की उलझन क्या करे कोई,
रहे हम दूर ही सब दिन भले हम साथ चलते।
‘अमर’ ख़ुद को भुलाकर प्यार में पागल बनो पहले,
जहाँ अँधा नहीं हो प्यार संशय कीट पलते हैं।
</poem>