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Kavita Kosh से
न वह चंचल आत्मा है, न ही बोझ...
वह तो मेरे हाथ हैं, मेरे पैर हैं; ,
वह मेरी सन्तान है, मेरी माँ है,
मेरी बहन है, मेरी आजीवन मित्र है...