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Kavita Kosh से
<poem>
याद मुझे है, तितली कैसे खिड़की से टकरा रही थी
काँच था पतला औ’ पारदर्शी,आर-पार सब दिखता था
बात पुरानी, मई का महीना था, मैं था पाँच बरस का
बन्दी तितली को हवा में छोड़ा मैंने घर से बाहर लाकर
जब मर जाऊँगा, पूछेंगे मुझसे — मैंने कैसा जीवन जिया है ?
तब याद करूँगा दिन मई का वो और अपना वो विचार
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''