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<poem>
राजा-रानी खत्म कहानी
जाग रहे हम, सोई नानी
चलो मचायें शोर
गली में आया काला चोर

बिना काम के माल उड़ाने
दबे पाँव वह आया
ताला तोड़ा, कुंडी खोली
घर में कदम बढ़ाया
दौड़ो-दौड़ो रोको-रोको
जरा लगाकर जोर

शासन-सत्ता की गलियों में
चोर बहुत सारे हैं
उन्हें न भेजो संसद में जो
लालच के मारे हैं
जो भारत का मान बढ़ाये
जनता उसकी ओर

जाति-धर्म का ढोल पीटकर
वोट लूट लेते हैं
फिर लोगों को पाँच साल तक
दुख ही दुख देते हैं
सजग रहो, उड़ने से पहले
काटो उनकी डोर

चोरी- भ्रष्टाचार मिटाकर
नया समाज बनायें
आने वाले कल की खातिर
सपने नये सजायें
नयी-नयी रातें हों अपनी
नयी-नयी हो भोर

</poem>
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