Changes

आशा / पूनम चौधरी

1,534 bytes added, मंगलवार को 12:21 बजे
<poem>
आशा—
एक अजस्र स्रोत,
जो सूखी नदी के तट पर भी
बुन देती है
जलधार की कल्पना।
 
अमावस की कालिमा में
जैसे
दबी रहती है
पूर्णिमा की मुस्कान।
 
टूटे पंखों में
भर देती है स्मृति
अंतहीन उड़ान की,
और
थके पथिक के पाँवों में
भर देती है
एक और कदम का साहस।
 
पतझड़—
मात्र बिखरना नहीं,
वह
बसंत के नए पत्तों की
कसमसाहट भी है,
जो हर बिखराव में
नवजन्म का संकेत ले आती है।
 
आशा—
मनुष्यता की अदम्य यात्रा,
जिसके सहारे
असंभव के विरुद्ध
संभावना का सूर्योदय होता है;
तिमिर में छुपा
दीप का प्रकाश
झिलमिलाता है;
विध्वंस की राख से
फूटता है
सृजन का बीज।
 
हर क्षण यही विश्वास
उग आता है—
कि अँधेरे में भी
एक नन्हा उजाला
मुस्कराता है।
-0-
</poem>