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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूनम चौधरी }} {{KKCatKavita}} <poem> मुझे जीवन से...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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|रचनाकार=पूनम चौधरी
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मुझे जीवन से बहुत नहीं चाहिए—
केवल इतना भर,
कि इस विषम, विस्मृतिजीवी भीड़ में
कोई एक ऐसा चेहरा हो
जिसकी दृष्टि
मुझे उस समय भी पहचान ले
जब मैं स्वयं से भी अपरिचित हो जाऊँ।

कोई ऐसा,
जो मेरी व्यथा, प्रार्थना
और चुप्पी को
शब्दों की प्रतीक्षा के बिना ही
अनुभव कर सके,
जो अधूरी अभिव्यक्तियों को
सिर्फ अपनी उपस्थिति से
पूर्णता प्रदान कर दे,
बिना किसी आग्रह, बिना उत्तर के।

कभी-कभी,
अंतस् में जो खालीपन हँसी के पीछे छुपा होता है,
उसे कोई छू सके,
मौन को
व्याख्या की ज़रूरत न रहे—
बस सहानुभूति नहीं,
सह अनुभूति से वह पीड़ा
एक साझा मौन में
हल्की पड़ जाए।

पीड़ा तो सर्वव्यापी हैं;
किन्तु
शांति केवल उन्हीं को प्राप्त होती है,
जिन्हें कोई ऐसा मिल जाता है
जो दुःख को हल नहीं करता,
बस
साथ लेकर चलने का सामर्थ्य रखता है।

मुझे किसी के वचनों की नहीं—
केवल उसकी
अवधारित, नि:शब्द निकटता की आकांक्षा है;
जो कहे बिना-
"मैं तुम्हारे साथ हूँ"
इस अनुभूति को
जीवित रख सके।

क्योंकि—
यह संसार भर गया है तर्कों और व्याख्याओं से;
परंतु किसी एक ऐसे हृदय का मिलना
जिसके सम्मुख
बिना शब्द भी
सब कुछ कह देना संभव हो—
यही परिभाषा है
एक आलोकित सम्बंध की,
एक मित्र,
पिता,
अग्रज,
गुरु,
अथवा
जो स्वीकारे मन
जो शब्दों से नहीं—
आत्मा से जुड़ता है।

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