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वसंत/शिवदीन राम जोशी
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5 जुलाई
नगर-नगर में, डगर-डगर में, मगन मस्त घर में बसंत हैं ।।
कौम-कौम में, रोम-रोम में ।
धारा
धरा
धरनी पाताल व्योम में ।।
व्यापक है चहूँ ओर ठौर में, नारायण नर में वसंत है ।।
तन तंत्री के साज-बाज में ।
Kailash Pareek
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