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|रचनाकार=रसूल ह्मज़ातफ़हमज़ातफ़
|अनुवादक=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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<poem>
बरखा बरसे छत पर, मैं तेरे सपने देखूँबर्फ़ गिरे परबत पर, मैं तेरे सपने देखूँसुब्‍ह की नील परी, मैं तेरे सपने देखूँकोयल धूम मचाए, मैं तेरे सपने देखूँआए और उड़ जाए, मैं तेरे सपने देखूँबाग़ों में पत्ते महकें, मैं तेरे सपने देखूँशबनम के मोती दहकें, मैं तेरे सपने देखूँ इस प्यार में कोई धोखा है,तू नार नहीं कुछ और है शै,वरना क्यों हर एक समय,
मैं तेरे सपने देखूँ ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़'''
</poem>
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