Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़ |अनुवादक=फ़ैज़ अहम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उसने जब
बोलना न सीखा था
उसकी हर बात मैं समझती थी ।

अब वो शाइर बना है
माने-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस
कोई बात उसकी
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,388
edits