'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़ |अनुवादक=फ़ैज़ अहम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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}}
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<poem>
उसने जब
बोलना न सीखा था
उसकी हर बात मैं समझती थी ।
अब वो शाइर बना है
माने-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस
कोई बात उसकी
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़'''
</poem>