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समय नहीं बदलताबदलते हैं हम!समय बहता है चुपचाप,इस बहते समय मेंसुन नहीं पाते हमबदलाव की पदचाप।श्वास लेता है समयमूक दर्शक-सासदी दर सदीवही सूरज, वही चाँद,बदल जाती है बसदेखने की दृष्टि।हम बदलते हैंअपनी इच्छाओं में,अपने डर में,अपने फ़ैसलों की दिशा में,और समय को दे दोषबचते हैं अपने से ही।हम बदलते हैं किहमारी दृष्टि, हमारी चाह,हमारे प्रश्न, हमारे उत्तर,हर पल बढ़ते हैंभीतर, अज्ञात की ओरएक नया अर्थ खोजते।समय है निस्पंद साक्षीदेखता हर परिवर्तनकहता कुछ नहीं।रोता नहीं जब टूटते हैं,जब खिलते हैंतो हँसता भी नहीं।उसके पास न घाव हैं,न विजय की मालावह है एक सूक्ष्म धाराजिसमें हम उतरते हैंऔर घबरा जाते हैंअपने प्रतिबिंब से ही।जो बीता समय नहीं थाहम थे, जो बदल गए।जो आगे आएगा,वह समय नहीं लाएगाउसे आकार देंगेहमारे अंतर्मन की छाया से।क्योंकि सच पूछो तोपरिवर्तन हम हैं।समय तो बस जल हैनिष्प्रयास, निराकार, निःशब्दजिसमें हर कोईदेखता है अपनी परछाईं ही।-0-
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