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|रचनाकार=अशोक अंजुम
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|संग्रह=अशोक अंजुम की मुक्तछंद कविताएँ / अशोक अंजुम
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<poem>
1 ़ 1 त्र 2 होते हैं
जानते हो,
1 । 1 त्र 0 होता है
मानते हो,
1 ×1 त्र 1 होता है
अनुभव होगा,
1 झ् 1 भी एक होता है
विश्वास करो!
दोस्त!
1 और 1 बराबर 11
तभी हो पाएगा
जब 1 और 1
अर्थात
तेरे और मेरे बीच में
कोई भी,
कैसा भी,
निशान नहीं आएगा।
</poem>
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