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<poem>
1
'''कभी अमृत, कभी गरल पिया,'''
इस तरह हमने जीवन जिया।
मीत आए व गए, कब रुके,
'''( 21-06-2025 )'''
3
'''मिट जाएँ सन्ताप सब, गूँजे-मधुरिम गान'''
बढ़ता जाए आपका, निशदिन सुख- सम्मान।
आँसू सारे पोंछकर, दूँ तुमको मुस्कान ।