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मुझे मोजज़ों<ref>करामातों, चमत्कारों</ref> पे यक़ीं नहीं मगर आरज़ू है कि जब कज़ा<ref>मृत्यु, मौत</ref>मुझे बज़्मे-दहर<ref>दुनिया की महफ़िल</ref> से दहरसे ले चलेतो फिर एक बार ये अज़न<ref>इजाज़त</ref> देकि लहद<ref>क़ब्र</ref> से लौट के आ सकूँ
तिरे दर पे आ के सदा करूँ
तुझे ग़म-गुसार की हो तलब तो तिरे हुज़ूर में जा रहूँ
ये न हो तो सूए-रहे-अदम<ref>परलोक के रास्ते पर</ref> में फिर एक बार रवाना हूँ {{KKMeaning}}
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शब्दार्थ :
मोजज़ों = करामातों, चमत्कारों
कज़ा = मृत्यु, मौत
बज़्मे-दहर = दुनिया की महफिल
अज़न = इजाज़त
लहद = क़ब्र
सूए-रहे-अदम में = परलोक के रास्ते पर
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