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<poem>
मैं जानता हूँ इसमें मेरा दोष नहीं है कोई
कि लड़ाई के मैदान से वे लौटे नहीं अहोई<ref>सुरक्षित</ref> कोई बड़ा था उम्र में उनमें, और कोई युवा थाकिया की कोई शिकायत गिला किसी ने और न यह शिकवा था कि मैं नहीं बचा पाया उनको और लौटा यूँ ही छूँछा<ref>ख़ाली हाथ</ref>पर मन को मेरे कचोट रही है, बस, एक यही छोटी-सी इच्छा।इच्छा ।
1966
 
शब्दार्थ :
अहोई = सुरक्षित
छूँछा = ख़ाली हाथ
 
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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