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मुस्कुराने लगा / चरण जीत चरण

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<poem>
वो कि आया मिला और जाने लगा
मैं कि दिल थामकर मुस्कुराने लगा

यू कि कुछ देर को रौशनी-सी हुई
यूँ कि फ़िर से अँधेरा-सा छाने लगा

मैं बहुत देर तक लड़खड़ाता रहा
मैं बहुत देर में फ़िर ठिकाने लगा

यूँ कि मुझपे भी मुझको भरोसा नहीं
यूँ कि तू भी मुझे आज़मा ने लगा

गैर है तो कहीं जा बला से मेरी
तू मेरा है तो आ मुझको शाने लगा

क्या बताऊँ मैं पहले से ऐसा न था?
यूँ थी उसकी तलब कश लगाने लगा
</poem>
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