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24 अगस्त {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=देवेश पथ सारिया
|संग्रह=
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<poem>
यह मुझसे कहा था एक लड़की ने :
"गुलाबी और लाल के बीच
एक रंग पोशीदा
तुम्हारे होंठ हैं
देर तक चूमने लायक
न कम, न ज़्यादा,
बिल्कुल ठीक मोटाई के
तुम्हारा चुंबन एक मिठास है
ऐन, मेरे स्वादानुसार!"
नाक के नीचे और ठोड़ी के ऊपर
मैं उसका चाय का प्याला था
जिसमें मलाई की पपड़ी जमती छोड़कर
वह चली गई, नमक की गुफ़ा में।
</poem>