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15 सितम्बर {{KKGlobal}}
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| रचनाकार= कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह 
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बाघ को मार दो 
बाघ आदमी खाता है।
नहीं ।
आदमी को मारो –
आदमी बाघ मारता है।
बाघ बहुत सुन्दर प्राणी है 
इस दुनिया में ।
छोटे-मोटे जानवर 
डरते हैं बाघ से, 
और जंगल साफ़ रहता है। 
१० अक्तूबर '८६
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