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{{KKRachna
|रचनाकार=गोविन्द माथुर
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{{KKPustakइस तरीके से नही|चित्र=|नाम=शेष होते हुए पहले हमें|रचनाकार=[[गोविन्द माथुर]]|प्रकाशक=सहज होना होगा|वर्ष= |भाषा=हिन्दीकिसी तनाव में|विषय=कविता|शैली=छन्दहीनटूटने से बेहतर है|पृष्ठ=|ISBN= धीरे|विविध=-धीरे अज्ञात दिशाओं में गुम हो जाएँ हमारे सम्बन्ध कच्ची बर्फ से नही कि हथेलियों में उठाते ही पिघल जाएँ आख़िर हमने एक-दूसरे की}}गर्माहट महसूस की है इतने दिनों तक तुमने और मैंने चौराहे पर खड़े हो कर अपने अस्तित्व को बनाए रखा है ये ठीक है कि हमें गुम भी इस ही चौराहे से होना है पर इस तरीके से नही पहले हमें मासूम होना होगा उतना ही मासूम जितना हम एक दूसरे से मिलने के पूर्व थे पहले मैं या तुम कोई भी एक आरोप लगाएंगे न समझ पाने का तुम्हें या मुझे और फिर महसूस करेगें उपेक्षा अपनी-अपनी कितना आसान होगा हमारा अलग हो जाना जब हम किसी उदास शाम को चौराहे पर मौन खड़े होंगे और फिर जब तुम्हारे और मेरे बीच संवाद टूट जएगा कभी तुम चौराहे पर अकेले खड़े होगें और कभी मैं फिर धीरे-धीरे हमें एक दूसरे की प्रतीक्षा नही होगी कितना सहज होगा हमारा अजनबी हो जाना जब हम सड़कों और गलियों में एक दूसरे को देख कर मुस्करा भर देंगे या हमारा हाथ एक औपचारिकता में उठ जाया करेगा हाँ हमें इतनी जल्दी भी क्या है ये सब सहज ही हो जाएगा फिर हमें बीती बातों के नाम पर यदि याद रहेगा तो सिर्फ़ एक-दूसरे का नाम* [[शेष होते हुए (कविता) / गोविन्द माथुर]]