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क्या इसलिए
पंचो के सामने प्रतिज्ञा की थी
हमाते हमारे बाप ने
गाय समझकर दी थी।"
गाँव की हूँ
गाय और भैसों के बीच में रही हूँ
फिल फिर कभी चाय की मत कहना
हरग़िज़ नहीं पिउँगी
अगर अपनी पर आ गई
बात है साल भर पहले की
अब तक पी रहीं है।
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