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== अमेरिका में षष्ठम हिन्दी महोत्सव- २००७ ==
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हिन्दी महोत्सव अमेरिका में पैदा हुई तथा पली-बढ़ी भारतीय पीढ़ी को समर्पित एक भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्र भाषा हिन्दी को जीवित रखने वाला एक अनूठा कार्यक्रम है।
प्रतिवर्ष हिन्दी यू एस ए हिन्दी के प्रचार तथा प्रसार के लिए हिन्दी महोत्सव का आयोजन करता है इस वर्ष न्यूजर्सी के प्लेंसबोरो नामक शहर में दिनांक ७ जुलाई २००७ को इसका आयोजन अपरान्ह १ बजे से किया गया तथा यह अर्धरात्रि १२ बजे तक चलता रहा। कार्यक्रम के पहले पक्ष में हिन्दी यू एस ए द्वारा चलायी जा रही हिन्दी पाठशालाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। आकर्षक वेषभूषाओं में अंग्रेजी सभ्यता में पल रहे बच्चों ने सुंदर भजन, प्रार्थनाएँ, देशभक्ति के सामूहिक गीत, नृत्य, नाटक, एकांकी तथा भारत के गौरव और हिन्दी की गरिमा को प्रदर्शित करती हुई कुछ प्रस्तुतियाँ, तथा झाँकियाँ दिखायीं।
कविता पाठ प्रतियोगिता ने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। छोटे-छोटे बच्चों द्वारा बड़े-बड़े कवियों की रचनाएँ सुनकर सभी ने दाँतों तले उँगलियाँ दबा ली। दिनकर जी की रचना पर आधारित महाभारत नृत्य नाटिका को दर्शक कभी नहीं भूलेंगे। बच्चों के स्तुति करने पर जो भारतमाता का प्राकट्य हुआ उस समय दर्शक स्वंय को रोक न सके और अमेरिका में भारतमाता के दर्शन पाकर सारा कक्ष तालियों से गूँज उठा। भारतमाता ने प्रवासी भारतियों के अनेक प्रश्नों के उत्तर दिए। प्रसिद्ध योग गुरु स्वामी रामदेव जी ने कार्यक्रम में पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ा दी। उनका ओजपूर्ण प्रवचन सुनकर प्रत्येक श्रोता अपने जीवन को धन्य मान रहा था। उन्होंने हिन्दी विद्यार्थियों को आर्शीवाद दिया तथा हिन्दी यू एस ए की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
प्रथम पक्ष के अंत में प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा तथा पुरुस्कार वितरण समारोह हुआ तथा कार्यक्रम के आयोजक श्री देवेन्द्र सिंह ने सभी को हिन्दी भाषा के कार्य में सहयोगी होने के लिए धन्यवाद दिया।
इस कार्यक्रम के समानांतर कक्ष के बाहर ५००० हिन्दी पुस्तकों के स्टॉल का आयोजन भी चलता रहा जिसमें बच्चों की हिन्दी सीखने की पुस्तकें कहानियों की पुस्तकें, वेद, पुराण, योग, हिन्दुत्व, भारत के इतिहास, उपन्यास, काव्य संग्रह आदि की पुस्तकें दर्शकों द्वारा सराही व खरीदी गई। भारतीय, आभूषण, वस्त्रों तथा अन्य वस्तुओं के भी स्टॉल लगाए गए। मध्यांतर में स्वादिष्ट भारतीय भोजन कर श्रोता-गण कवि-सम्मेलन के लिए एकत्रित होने लगे। कवि-सम्मेलन के पहले फ्लोरिडा से पधारे हिन्दू यूनीवर्सिटी के श्री ब्रह्म अग्रवाल जी ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिसके अनुसार हिन्दू विश्व विद्यालय तथा हिन्दी यू एस ए हिन्दी के प्रचार तथा प्रसार के लिए मिलकर कार्य करेंगे।
श्री ब्रह्म अग्रवाल जी हिन्दी यू एस ए के सभी शिक्षकों एवं स्वयंसेवकों को सम्मानित किया तथा कुछ विशिष्ठ शिक्षकों एवं स्वयंसेवकों को सम्मान-पत्र प्रदान किए। यह ज्ञात हो कि हिन्दी यू एस ए उत्तरी अमेरिका की सबसे बड़ी स्वंयसेवी संस्था है। जिसमें ५० सक्रिय स्वंयसेवक, १०० से भी अधिक हिन्दी शिक्षक तथा २००० अन्य सदस्य हैं।
इस कार्यक्रम में भारत से अनेक अतिथि पधारे जिनमें मुख्य थे श्री जवाहर कर्नावट जी। इसके अतिरिक्त नार्वे में हिन्दी के लिए कार्यरत प्रसिद्ध सहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल नार्वे से पधारे। कॉग्रेसमैन चिवुकुला तथा सुश्री सीमा सिंह ने भी अपना अमूल्य समय दिया।
रात्रि आठ बजे के लगभग श्री देवेन्द्र सिंह ने भारत से पधारे ४ महान और प्रसिद्ध, अत्यधिक लोकप्रिय कवियों तथा कवित्री को मंच पर संक्षिप्त परिचय के साथ आमंत्रित किया। आमंत्रित कवियों, श्री माणिक वर्मा जी, श्री गजेन्द्र सोलंकी जी, सुश्री अनिता सोनी जी तथा सबके चहेते श्री सत्यनारायण मौर्य ने सभी दर्शकों को रात्रि १२ बजे तक बाँधे रखा।
भारत माँ की आरती के साथ अनेक भावुक श्रोताओं ने हिन्दी यू एस ए के स्वंयसेवक बनने की शपथ ली। इस प्रकार भारत की भूमि से दूर विदेश में हिन्दी का ११ घंटे चलने वाला यह सबसे बड़ा कार्यक्रम रात्रि १२ बजे कवियों की भावभीनी विदाई के साथ समाप्त हुआ। www.HindiUSA.org
 
== दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन की राष्ट्रपति से अपील ==
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