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==न्यूयॉर्क में आयोजित 8वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन - एक आकलन==
 
 
 
'''लेखक: विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा),रेल मंत्रालय, भारत सरकार'''
 
 
संयोग से मुझे न्यूयॉर्क में हाल ही में आयोजित 8वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडल के सदस्य के रूप में भाग लेने का न केवल अवसर मिला, बल्कि सम्मेलन के बाद अमरीका में बसे हिंदी प्रेमी प्रवासी भाइयों से उसकी उपलब्धियों और विफलताओं पर विशद चर्चा करने का अवसर भी मिला. मैं न्यूयॉर्क स्थित भारतीय मिशन के उस समारोह में भी सम्मिलित हुआ, जिसमें सम्मेलन की उपलब्धियों का आकलन किया गया. सम्मेलन के बाद मैं उन विश्वविद्यालयों में भी गया, जहाँ हिंदी का अध्ययन-अध्यापन पूर्णकालिक विषय के रूप में किया जाता है. इससे पहले कि मैं विषयवार चर्चा करूँ, मैं उन उपलब्धियों को रेखांकित
करना चाहूँगा, जिनके कारण यह सम्मेलन अभूतपूर्व बन गया. पिछले सभी सम्मेलनों में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया कि संयुक्त राष्ट्र में
हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए हरसंभव उपाय किए जाएँ, किंतु पहली बार यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की उपस्थिति में पारित किया गया और संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री बान की-मून ने स्वयं हिंदी भाषा में अपने भाषण की शुरुआत करके हिंदीप्रेमियों को चौंका भी दिया. साथ ही इस अवसर पर भारत के विदेश राज्य मंत्री श्री आनंद शर्मा ने यह आश्वासन दिया कि भारत सरकार इसके लिए धन की कमी नहीं होने देगी.
 
 
अब तक 8 विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं, लेकिन पहली बार सम्मेलन की ऐसी वेबसाइट बनाई गई थी जो पूरी तरह गतिशील (Dynamic) और
अंत:क्रियात्मक (Interactive) थी. प्रतिदिन नित नई सूचना वेबसाइट के माध्यम से प्रतिभागियों को दी जाती थी. प्रतिभागी अपना पंजीकरण भी
वेबसाइट के माध्यम से ही करा सकते थे. जिन लोगों को अमरीकी दूतावास से वीज़ा प्राप्त करना था, उन्हें भी अद्यतन सूचनाएँ इसी वेबसाइट के माध्यम
से दी जाती थीं. इसके अलावा, इस वेबसाइट पर हिंदी से संबंधित तमाम लिंक भी दिए गए थे, जिनकी सहायता से विश्व के किसी भी कोने में बैठे हुए आप
हिंदी संबंधी निम्नलिखित सूचनाएँ आज भी प्राप्त कर सकते हैं:
 
 
* इंटरनेट पर हिंदी के कुछ प्रमुख पोर्टल तथा वेबसाइट
* कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने के लिए तकनीकी सुविधाएं व सूचनाएं
* हिंदी की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संगठन
* हिंदी शिक्षण में जुटे विदेशी विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थान
 
 
इस वेबसाइट की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह विश्वव्यापी मानक युनिकोड पर आधारित थी, जिसके कारण इसे देखने के लिए किसी फ़ॉन्टविशेष को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. किसी सम्मेलन के वेबकास्ट का भी यह पहला अवसर था. इसकी व्यवस्था में अमरीका में बसे कंप्यूटर विशेषज्ञ श्री अनूप भार्गव का सबसे अधिक योगदान रहा. यद्यपि यह वेबकास्ट जीवंत और प्रत्यक्ष तो नहीं था, लेकिन कुछ समय के अंतराल के बाद देश-विदेश में बैठे हिंदी प्रेमी इसकी सहायता से सम्मेलन की अद्यतन गतिविधियों से अवगत हो सकते थे.
 
 
जहाँ तक आवास, भोजन, सम्मेलन के सत्रों और प्रदर्शनी आदि के लिए व्यवस्था का संबंध है, सभी प्रतिभागियों ने महसूस किया कि कम से कम भोजन की तो ऐसी व्यवस्था पिछले किसी सम्मेलन में अब तक नहीं की जा सकी थी. इसका श्रेय न्यूयॉर्क स्थित भारतीय विद्याभवन के कार्यपालक निदेशक डॉ.जयरामन के दिया
जाना चाहिए. सम्मेलन के समानांतर सत्रों और प्रदर्शनी के लिए पर्याप्त स्थान और साधनों की व्यवस्था की गई थी. हाँ..आवास के मामले में कुछ शिकायतें जरूर आईँ, लेकिन उन्हें भी शीघ्र ही सुलझा लिया गया. जहाँ तक शैक्षणिक सत्रों का संबंध है, विषयों में काफ़ी विविधता थी. संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी से लेकर देश-विदेश में हिंदी शिक्षणः समस्याएं और समाधान, वैश्वीकरण, मीडिया और हिंदी,विदेशों में हिंदी साहित्य सृजन (प्रवासी हिंदी साहित्य), हिंदी के प्रचार-प्रसार में सूचना प्रौद्योगिकी और हिंदी फिल्मों की भूमिका, हिंदी, युवा पीढ़ी और ज्ञान-विज्ञान, हिंदी भाषा और साहित्य- विभिन्न आयाम:साहित्य में अनुवाद की भूमिका, हिंदी और बाल साहित्य, देवनागरी लिपि आदि विविध विषयों को रखा गया था. स्वाभाविक था कि इतने अधिक विषयों पर चर्चा समानांतर सत्रों के माध्यम से ही संभव थी. समय की कमी और वक्ताओं की भरमार के कारण कभी-कभी अध्यक्ष और संयोजक के लिए संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती थी, लेकिन आयोजकों की सूझबूझ के कारण न केवल अधिक से अधिक वक्ताओं को समेटने का प्रयास किया गया, बल्कि बाहर से आए वक्ताओं को भी कुछ समय देने का प्रयास किया गया.
 
 
इस सम्मेलन के साथ तीन प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया था. पहली प्रदर्शनी राष्ट्रीय अभिलेखागार की ओर से लगाई गई थी, जिसमें ऐतिहासिक महत्व के हिंदी दस्तावेज, पत्र-पत्रिकाओं आदि का प्रदर्शन किया गया. नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी में महत्वपूर्ण हिंदी साहित्य के अतिरिक्त विश्व के विभिन्न देशों से प्रकाशित होने वाली हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का प्रदर्शन भी किया गया. सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी से जुड़े अधुनातन अनुप्रयोगों पर एक अन्य प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया. श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच के समन्वय में आयोजित की गई इस प्रदर्शनी में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की ओर से सीडैक व अन्य सरकारी तकनीकी संगठनों के जरिए तैयार करवाए गए आधुनिक हिंदी अनुप्रयोगों का प्रदर्शन भी किया गया. इस प्रदर्शनी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि इसमें सीडैक की ओर से तीन ऐसे अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया गया था, जिनके विकास से हिंदी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित हो गए हैं. लीला नामक एक
ऐसा मल्टीमीडिया पैकेज विकसित किया गया है, जिसकी सहायता से घर बैठे हिंदी सीखी जा सकती है. मंत्र एक ऐसा मशीनी-अनुवाद का पैकेज है, जिसकी सहायता से प्रशासनिक प्रलेखों को अंग्रेजी से हिंदी में अनूदित किया जा सकता है. श्रुतलेखन राजभाषा वाक् प्रौद्योगिकी में मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है. इसकी सहायता से हिंदी में डिक्टेशन दिया जा सकता है. सम्मेलन समाचार का दैनिक प्रकाशन भी इस सम्मेलन की एक विशिष्ट उपलब्धि कहा जा सकता है. इसका संपादन प्रो.अशोक चक्रधर ने बड़ी सूझबूझ और रचनाधर्मिता से किया था. इसका तकनीकी निर्देशन युवा कंप्यूटर विशेषज्ञ अशोक चक्रधर ने किया था. इसके प्रकाशन के लिए माइक्रोसॉफ़्ट के हिंदी ऑफ़िस पब्लिशर का उपयोग किया गया था. वस्तुत: यह बुलेटिन सम्मेलन के प्रतिभागियों के लिए रेडी रेकनर की तरह अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ. समानांतर सत्रों के कारण प्रतिभागीगण चाहते हुए भी एक से अधिक सत्रों का जानकारी नहीं पा सकते थे. बुलेटिन के कारण अगले दिन ही प्रतिभागियों को सभी सत्रों में प्रस्तुत आलेखों की विषयवस्तु की संक्षिप्त जानकारी मिल जाती थी. इस बुलेटिन में आगामी कार्यक्रमों की अद्यतन जानकारी भी उपलब्ध रहती थी. प्रतिक्रियाओं का स्तंभ भी प्रतिभागियों में खासा लोकप्रिय रहा. बिना किसी भेदभाव के कोई भी प्रतिभागी बुलेटिन में अपनी प्रतिक्रियाएं दे
सकता था. सचित्र होने के कारण यह बुलेटिन सम्मेलन की प्रत्येक गतिविधि का आँखों-देखा हाल पाठकों के सामने प्रस्तुत करने में पूर्णत: सफल रहा. इसके
अलावा सम्मेलन की वेबसाइट पर इसकी पीडीएफ़ फाइल उपलब्ध रहने के कारण देश-विदेश में बैठे हिंदी प्रेमी भी स्वयं अपनी उपस्थिति सम्मेलन में महसूस कर सकते थे. रंगीन चित्रों के कारण यह बहुत ही नयनाभिराम और आकर्षण लगता था. अब भारत सरकार ने इन बुलेटिनों का समग्र प्रकाशित करने का संकल्प किया है. यह समग्र निश्चय ही सम्मेलन के मंतव्य को विश्वभर में फैले हिंदीप्रेमियों तक पहुँचाने में सफल सिद्ध होगा. इस प्रकार यदि हम देखें तो यह सम्मेलन अपने आप में एक अनूठा सम्मेलन था. यदि इस सम्मेलन में पारित प्रस्तावों पर समय रहते अपेक्षित कार्रवाई की जाए और विश्वहिंदी वेबसाइट के माध्यम से विश्व भर के हिंदी प्रेमियों को इससे जोड़ा रखा जा सके तो यह सम्मेलन हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है.
 
== अमेरिका में षष्ठम हिन्दी महोत्सव- २००७ ==