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शायर: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली]]|संग्रह=}}
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:गज़ल]]
[[Category:निदा फ़ाज़ली]]<Poem>
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में <br>
मुझको पहचानते कहाँ हैं लोग
रोज़ मैं चाँद चांद बन के आता हूँ<br>
दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ
खनखनाता हूँ माँ के गहनों में<br>
हँसता रहता हूँ छुप के बहनों में
मैं ही मज़दूर के पसीने में<br>
मैं ही बरसात के महीने में
मेरी तस्वीर आँख का आँसू<br>
मेरी तहरीर जिस्म का जादू
तहरीर - लिखावट <br> मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में <br>
मुझको पहचानते नहीं जब लोग
मैं ज़मीनों को बे-ज़िया करके <br>
आसमानों में लौट जाता हूँ
ज़िया - प्रकाश<br>मैं ख़ुदा बन के क़हर ढाता हूँ
मैं ख़ुदा बन के क़हर ढाता हूँ शब्दार्थ :तहरीर= लिखावट ज़िया= प्रकाश<br/poem>
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