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वापस-1 / अरुण कमल
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14:49, 19 दिसम्बर 2008
<Poem>
जैसे रो-धो कर चुप हो
हथ
हाथ-
मुँह धो
अंतिम हिचकी भर
वापस चूल्हे के पास लौटती है नई वधू
अनिल जनविजय
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