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वापस-1 / अरुण कमल

3 bytes added, 14:49, 19 दिसम्बर 2008
<Poem>
जैसे रो-धो कर चुप हो हथ हाथ-मुँह धो
अंतिम हिचकी भर
वापस चूल्हे के पास लौटती है नई वधू
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