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|रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=रात जब चन्द्रमा बजाता है बाँसुरी / सुधीर सक्सेना}}{{KKCatKavita}}
<Poem>
अचानक
उसने कहा
उफ्फ, इत्ती गर्मी
कुछ करें
कि बारिश हो
अचानक
मैंने मन ही मन टेरा मेघों को
आकाश से बरसा अचानक झमाझम नेह
उसकी दृष्टि में
अचानक यूंयूँमैं अपने कद क़द से बड़ा हुआ
प्रकृति की औचक लीला से
अचानक एक लौकिक पुरूष ने पाया देवत्व.
</poem>