{{KKRachnakaarParichay|रचनाकार=मोमिन }}<poem>
हक़ीम मोमिन ख़ान 'मोमिन' मुग़ल काल के अंतिम दौर के शाइर थे। वह मिर्ज़ा ग़ालिब व ज़ौक़ के समकलीन थे और बहादुर शाह ज़फ़र के मुशायरों में भाग लेने लालक़िले जाया करते थे। वह अत्यंत भावुक और संवेदनशील शायर थे।
::::: मैंने तुमसे क्या किया और तुमने मुझसे क्या किया
अन्कअ आपका एक शे'र मुलाहिज़ा फरमाएँ, जिससे मिर्ज़ा ग़ालिब इस क़दर प्रभावित हुए कि इस शे'र के बदले अपना सारा दीवान 'मोमिन' को देने की पेशकश की थी:
::::: तुम मेरे पास होते हो गोया