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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=अधूरी चीज़ें तमाम यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल
}}
<Poem>
इस सुदूर गाँव में
एक पेड़ के तने से--
डालता हूँ तुम्हें चिट्ठी
पहुँचे तो
पढ़ना ज़रूर !
</poem>