भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पता नहीं / जयप्रकाश मानस

52 bytes added, 16:49, 12 अगस्त 2006
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
कभी मीठा-खारा पानी<br>लोहा पत्थर कभी<br>कुछ-न-कुछ होता है प्राप्य<br>जब ज़मीन खोदते हैं आप या हम<br>पितरों की अनझुकी रीढ़ के अवशेष<br>माखुर की डिबिया<br>चोंगी सुपचाने वाली चकमक<br>मूर्ति में देवता<br>देवता के हाथों में त्रिशूल खड्ग बाण<br>नाचा के मुखौटे<br>कभी भी मिल सकते हैं<br>यह सब पता है हम सभीको <br>पता नहीं है <br>
हम कहाँ उड़ रहे...