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Kavita Kosh से
जीवन के प्रखर समर्थक-से जब प्रश्न चिन्ह
तब एक समंदर के भीतर
स्वर्णिम लहरों सा झल्लाता
मानो भीतर के सौ-सौ अंगारी उत्तर
संघर्ष विचारों का लोहू
मस्तिष्क तंतुओं में प्रदीप्त
मेरे सुख-दुख ने अकस्मात् भावुकतावश
कण्ठ में ज्ञान संवेदन के,
जिस में जन-जन के घर-आंगन
झुरमुर-झुरमुर वह नीम हँसा,
फर-फर आंचल तुमको निहार
जन-संघर्षों की राहों पर
माँओं का बहनों का सुहाग सिन्दूर हँसा बरसा-बरसा ।
इन भारतीय गृहिणी-निर्झरिणी-नदियों के
दिल के आंसू के फव्वारे
बावरे बुरी तरह यों अकुलाकर,
बूढ़े पितृश्री के चरणों में लोट-पोटकर,
बहना के हिय की तुलसी पर
घन छाया कर
भाई के दिल में फूल हुए ।
अम्बर में चमक रही बहन-बिजली ने भी
घर-घर के सजल अंधेरे से
जन-संघर्षों की राहों पर
आंसू से भरा हुआ चुम्बन मुझपर बरसाया ।
नव-वधुका बन
ऐसी तेरे घर आयी है ।
रे, स्वयं अगरबत्ती से जल,
अपने अंतर में घिरे हुए
गहरी ममता के अगुरू-धूम
मुझको अथाह मस्ती प्रदान की
इस हृदय-दान की वेला में मेरे भीतर ।
जिनके स्वभाव के गंगाजल ने,
जिनके कारण यह हिन्दुस्तान हमारा है,
जिन लाखों हाथों-पैरों ने यह दुनिया
जिनके कि पूत-पावन चरणों में
उन जन-जन का दुर्दान्त रुधिर
उनकी बाहों को अपने उर पर
उनकी हिम्मत, उनका धीरज,
मँडराता है मेरा जी चारों ओर सदा
यादें उनकी
मानो कि गीत के
उनके घर आने की
क्रान्ति की मुस्कराती आँखों —
दुबली चम्पा
खण्डर-मकान में फूल खिले, तल में बिखरे
जीवन संघर्षों में घुमड़े
कल्याणमयी करुणाओं के
प्रातः कालीन हवाओं में ।
डोला धरती की बाहों में,
उस घास-भरे जंगल-पहाड़-बंजर में
मानो बूढ़ी दुनिया के सिर पर आग लगी
यह अग्नि-विश्वजित् फैली है जिन लोगों की
इतिहास बनानेवाला सिर करके ऊंचा
भौहों पर मेघों-जैसा
पृथ्वी की गति के साथ-साथ घूमते हुए
तल में
त्यों जन-जन के अनपहचाने अन्तस्तल में
मानो जीवन सरिता
इस कष्ट भरे जीवन के विस्तारों में त्यों
संघर्षों के उत्साहों में
लहरों की ग्रीवा में सूरज की वरमाला;
जमकर पत्थर बन गए दुखों-सी
जल-भरे पारदर्शी उर में !!
जन-जन के पुत्रों के हिय में
लहरों में लहराती धरती
बिम्बित रवि-रंजित नभ को कसकर चूम लिया,
ऐसा संघर्षी वर्तमान —
मानव-भविष्य का आसमान —
मानव-दिगन्त के कूलों पर
जिन लक्ष्य अभिप्रायों की दमक रही किरनें
उसमें से एक फूल है रे, तुम जैसा हो,
जिन किरनों का ताना-बाना
नतन-व्यक्तित्वों के सहस्र-दल स्वर्णोज्ज्वल —
जन-जन के संघर्षों में विकसित
क्रमशः...