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कवि: [[जयप्रकाश मानस]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=जयप्रकाश मानस]]|संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मानस~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ }} {{KKAnthologyDeath}}{{KKCatKavita}}
शमशान की काँटेदार फ़ेंस पार करने के बाद
वहीं-वहीं सजल नेत्रों से
मैं भी खड़ा रहूँगारहूंगा
तुम्हारे द्वार पर