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यूँ तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे / मीना कुमारी
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03:28, 7 जनवरी 2009
<poem>
यूँ तेरी रहगुज़र से
दिवानावर
दीवानावर
गुज़रेकाँधे पे अपने
रख़
रख
के अपना
मजा़र
मजार
गुज़रे
बैठे
रहे
हैं
रास्ता
रास्ते
में दिल का
खानदार सजा़
नगर सजा
कर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे
द्विजेन्द्र द्विज
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