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Kavita Kosh से
|रचनाकार=मोमिन
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
रोया करेंगे आप भी पहरों मेरी इसी तरह,अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह.
मर चुक कहें कि तू ग़मे-हिज़्राँ से छूट जायेकहते तो हैं भले की वह लेकिन बुरी तरह ना ताब हिज्र में है ना आराम वसल वस्ल में,कम्बखत कम्बख़्त दिल को चैन नही है किसी तरह.
गर चुप रहें तो गम-ऐ-हिज्राँ से छूट जाएँ,
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह.
ना जाए वां बने है ना बिन जाए चैन है,
क्या कीजिये कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह.
लगती है गालियाँ भी तेरी मुझे क्या भली,
कुर्बान तेरे, फिर मुझे कह ले इसी तरह. पामाल हम न होते फ़क़त जौरे-चर्ख़ सेआयी हमारी जान पे आफ़त कई तरह हूँ जां-बलब बुताने-ए-सितमगर के हाथ से,क्या सब जहाँ में जीते हैं "मोमिन" इसी तरह