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अकाल और उसके बाद / नागार्जुन
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13:55, 25 अगस्त 2006
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई
पाँखे
पाँखें
कई दिनों के बाद ।
1952
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घनश्याम चन्द्र गुप्त