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।रचनाकार|रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत|संग्रह=घर एक यात्रा है / श्रीनिवास श्रीकांत
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'''पेड़'''<Poem>एक पेड़ रह -रह कर
बोलता है मेरे अन्दर
खुलते हैं स्मृतियों के झरोखे
पेड़ डोलता है मेरे अन्दर
अवयव हैं जिसकी इन्द्रियाँ
रक्त है रस
अस्थियाँ हैं टहनियाँ
फूलों की तरह
करता कायान्तर
अहर्निश।</poem>