भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
खिड़कियों को भाने लगा है आकाश
सूरज से बिंध रही है छत
घर तब तक ही रहता है घर
जब तक उग नहीं आते
उसी में से और कई छोटे-छोटे घर.
</poem>