भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घर -४ / नवनीत शर्मा

7 bytes removed, 06:33, 15 जनवरी 2009
}}
[[Category:कविता]]
 
 
<poem>
 
उस परि‍चित से लगने वाले
 
बुजुर्ग की बेतरतीब दाढ़ी बहुत उदास करती है
 
जैसे मिला न हो कोई हज्‍जाम बरसों से
 लोग इसे छूटा हुआ घर कहते हैं.  हैं।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits