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{{KKRachna
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओम प्रकाश ओमप्रकाश् सारस्वत
}}
<Poem>
प्रात हुई
कुचिपुड़ि
दस्तक दे
दूब ने
हल्की की