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फूल / गोरख पाण्डेय

3 bytes removed, 14:37, 16 जनवरी 2009
<poem>
फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
धड़क्ते धड़कते हुए
बादलों के ग़लीचों पे रंगीन बच्चे
मचलते हुए