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Kavita Kosh से
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,<br>
होय सिद्ध सिद्धि साखी गौरीसा,<br><br>
तुलसीदास सदा हरि चेरा,<br>
कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा,<br><br>
पवन तनय संकट हरनहरण्, मंगल मूरति रूप ॥<br>
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥<br><br>