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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=केदारनाथ सिंह]]|संग्रह=अकाल में सारस / केदारनाथ सिंह }}
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:केदारनाथ सिंह]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ <Poem>
पृथ्वी के ललाट पर
 
एक मुकुट की तरह
 
उड़े जा रहे थे पक्षी
 
मैंने दूर से देखा
 
और मैं वहीं से चिल्लाया
 
बधाई हो
 
पृथ्वी, बधाई हो !
  ('अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से)</poem>
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