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|रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
लोग उँची उड़ान रखते हैं
हाथ पर आसमान रखते हैं

शहर वालों की सादगी देखो
अपने दिल में मचान रखते हैं

ऐसे जासूस हो गये मौसम
सबकी बातों पे कान रखते हैं

मेरे इस अहद में ठहाके भी
आँसुओं की दुकान रखते हैं

हम सफ़ीने हैं मोम के लेकिन
आग के बादबान रखते हैं

</poem>
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