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फूल / महादेवी वर्मा

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लेखिका: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=महादेवी वर्मा]][[Category:|संग्रह=नीहार / महादेवी वर्मा]]}}<poem>मधुरिमा के, मधु के अवतारसुधा से, सुषमा से, छविमान,आंसुओं में सहमे अभिरामतारकों से हे मूक अजान!सीख कर मुस्काने की बानकहां आऎ हो कोमल प्राण!
मधुरिम के मधु के अवतार<br>स्निग्ध रजनी से लेकर हाससुधा रूप से सुषमा से छविमान<br>भर कर सारे अंग,आंसुओं में सहमे अभिराम<br>नये पल्लव का घूंघट डालतारकों से हे मूक अजान!<br>अछूता ले अपना मकरंद,सीख कर मुस्काने की बान<br>ढूढं पाया कैसे यह देश?कहां आऎ हो कोमल प्राणस्वर्ग के हे मोहक संदेश!<br><br>
स्निग्ध रजनी रजत किरणों से लेकर हास<br>नैन पखाररूप से भर कर सारे अंग<br>अनोखा ले सौरभ का भार,नये पल्लव छ्लकता लेकर मधु का घूंघट डाल<br>कोषअछूता ले अपना मकरंद<br>चले आऎ एकाकी पार;ढूढं पाया कैसे यह देश<br>कहो क्या आऎ हो पथ भूल?स्वर्ग के हे मोहक संदेशमंजु छोटे मुस्काते फूल!<br><br>
रजत किरणों से नैन पखार<br>उषा के छू आरक्त कपोलअनोखा ले सौरभ का भार<br>किलक पडता तेरा उन्माद,छ्लकता लेकर मधु का कोष<br>देख तारों के बुझते प्राणचले आऎ एकाकी पार<br>कहो न जाने क्या आऎ हो पथ भूल<br>आ जाता याद?मंजु छोटे मुस्काते फूल!<br><br>हेरती है सौरभ की हाटकहो किस निर्मोही की बाट?
उषा के छू आरक्त कपोल<br>चांदनी का श्रृंगार समेटकिलक पडता तेरा उन्माद<br>देख तारों के बुझते प्राण<br>न जाने क्या आ जाता याद<br>हेरती है सौरभ अधखुली आंखों की हाट<br>यह कोर,कहो लुटा अपना यौवन अनमोलताकती किस निर्मोही अतीत की बाट!<br><br>ओर?जानते हो यह अभिनव प्यारकिसी दिन होगा कारगार?
चांदनी का श्रंगार समेट<br>अधखुली आंखों की यह कोर<br>लुटा अपना यौवन अनमोल<br>ताकती किस अतीत की ओर<br>जानते हो यह अभिनव प्यार<br>किसी दिन होगा कारगार!<br><br> कौन है वह सम्मोहन राग<br>खींच लाया तुमको सुकुमार<br>?तुम्हें भेजा जिसने इस देश<br>कौन वह है निष्ठुर करतार<br>?हंसो पहनो कांटों के हार<br>मधुर भोलेपन का संसार!<br><br/poem>
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