कहि जयजीव सीस तिन्ह नाए। भूप सुमंगल बचन सुनाए।। १ ।। <br>
जौं पाँचहि मत लागै नीका। करहु हरषि हियँ रामहि टीका।।२ ।।< br>
मंत्री मुदित सुनत प्रिय बानी। अभिमत बानी।अभिमत बिरवँ परेउ जनु पानी।।<br>विनती सचिव करहि कर जोरी। जिअहु जोरी।जिअहु जगतपति बरिस करोरी।।३।।<br>
जग मंगल भल काजु बिचारा। बेगिअ नाथ न लाइअ बारा।।<br>
नृपहि मोदु सुनि सचिव सुभाषा। बढ़त बौंड़ जनु लही सुसाखा।।४।।<br>