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'''दुलार'''
'''राग बिलावल'''
सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये |{गीता.[बाल] 008.01} बार-बार बिधुबदन बिलोकति लोचन चारु चकोर किये ||{गीता.[बाल] 008.02} कबहुँ पौढ़ि पयपान करावति, कबहूँ राखति लाइ हिये |{गीता.[बाल] 008.02} बालकेलि गावति हलरावति, पुलकति प्रेम-पियूष पिये ||{गीता.[बाल] 008.03} बिधि-महेस, मुनि-सुर सिहात सब, देखत अंबुद ओट दिये |{गीता.[बाल] 008.03} तुलसिदास ऐसो सुख रघुपति पै काहू तो पायो न बिये ||{गीता.[बाल] 009.राग} सोरठ{गीता.[बाल] 009.01} ह्वै हौ लाल कबहिं बड़े बलि मैया |{गीता.[बाल] 009.01} राम लखन भावते भरत-रिपुदवन चारु चार्यो भैया ||{गीता.[बाल] 009.02} बाल बिभूषन बसन मनोहर अंगनि बिरचि बनैहों |{गीता.[बाल] 009.02} सोभा निरखि, निछावरि करि, उर लाइ बारने जैहों ||{गीता.[बाल] 009.03} छगन-मगन अँगना खेलिहौ मिलि, ठुमुकु-ठुमुकु कब धैहौ |{गीता.[बाल] 009.03} कलबल बचन तोतरे मञ्जुल कहि "माँ मोहिं बुलैहौ ||{गीता.[बाल] 009.04} पुरजन-सचिव, राउ-रानी सब, सेवक-सखा-सहेली |{गीता.[बाल] 009.04} लैहैं लोचन लाहु सुफल लखि ललित मनोरथ-बेली ||{गीता.[बाल] 009.05} जा सुखकी लालसा लटू सिव, सुक-सनकादि उदासी |{गीता.[बाल] 009.05} तुलसी तेहि सुखसिन्धु कौसिला मगन, पै प्रेम-पियासी ||{गीता.[बाल] 010.01} पगनि कब चलिहौ चारौ भैया ?{गीता.[बाल] 010.01} प्रेम-पुलकि, उर लाइ सुवन सब, कहति सुमित्रा मैया ||{गीता.[बाल] 010.02} सुन्दर तनु सिसु-बसन-बिभुषन नखसिख निरखि निकैया |{गीता.[बाल] 010.02} दलि तृन, प्रान निछावरि करि करि लैहैं मातु बलैया ||{गीता.[बाल] 010.03} किलकनि, नटनि, चलनि,चितवनि, भजि मिलनि मनोहर तैया |{गीता.[बाल] 010.03} मनि-खम्भनि-प्रतिबिम्ब झलक, छबि छलकिहै भरि अँगनैया ||{गीता.[बाल] 010.04} बालबिनोद, मोद मञ्जुल बिधु, लीला ललित जुन्हैया |{गीता.[बाल] 010.04} भूपति पुन्य-पयोधि उमँग, घर-घर आनन्द-बधैया ||{गीता.[बाल] 010.05} ह्वै हैं सकल सुकृत-सुख-भाजन, लोचन-लाहु लुटैया |{गीता.[बाल] 010.05} अनायास पाइहैं जनमफल तोतरें बचन सुनैया ||{गीता.[बाल] 010.06} भरत, राम, रिपुदवन, लषनके चरित-सरित अन्हवैया |{गीता.[बाल] 010.06} तुलसी तबके-से अजहुँ जानिबे रघुबर-नगर-बसैया ||{गीता.[बाल] 011.राग} केदारा{गीता.[बाल] 011.01} चुपरि उबटि अनाहवाइकै नयन आँजे,{गीता.[बाल] 011.01} चिर रुचि तिलक गोरोचनको कियो है |{गीता.[बाल] 011.01} भ्रूपर अनूप मसिबिन्दु, बारे बारे बार {गीता.[बाल] 011.01} बिलसत सीसपर, हेरि हरै हियो है ||{गीता.[बाल] 011.02} मोदभरी गोद लिये लालति सुमित्रा देखि {गीता.[बाल] 011.02} देव कहैं, सबको सुकृत उपवियो है |{गीता.[बाल] 011.02} मातु, पितु, प्रिय, परिजन, पुरजन धन्य,{गीता.[बाल] 011.02} पुन्यपुञ्ज पेखि पेखि प्रेमरस पियो है ||{गीता.[बाल] 011.03} लोहित ललित लघु चरन-कमल चारु, {गीता.[बाल] 011.03} चाल चाहि सो छबि सुकबि जिय जियो है |{गीता.[बाल] 011.03} बालकेलि बातबस झलकि झलमलत {गीता.[बाल] 011.03} सोभाकी दीयटि मानो रुप-दीप दियो है ||{गीता.[बाल] 011.04} राम-सिसु सानुज चरित चारु गाइ-सुनि{गीता.[बाल] 011.04} सुजन सादर जनम-लाहु लियो है |{गीता.[बाल] 011.04} तुलसी बिहाइ दसरथ दसचारिपुर {गीता.[बाल] 011.04} ऐसे सुख जोग बिधि बिरच्यो न बियो है ||{गीता.[बाल] 012.01} राम-सिसु गोद महामोद भरे दसरथ, {गीता.[बाल] 012.01} कौसिलाहु ललकि लषनलाल लये हैं |{गीता.[बाल] 012.01} भरत सुमित्रा लये, कैकयी सत्रुसमन,{गीता.[बाल] 012.01} तन प्रेम-पुलक मगन मन भये हैं ||{गीता.[बाल] 012.02} मेढ़ी लटकन मनि-कनक-रचित, बाल-{गीता.[बाल] 012.02} भूषन बनाइ आछे अंग अंग ठये हैं |{गीता.[बाल] 012.02} चाहि चुचुकारि चूमि लालत लावत उर {गीता.[बाल] 012.02} तैसे फल पावत जैसे सुबीज बये हैं ||{गीता.[बाल] 012.03} घन-ओट बिबुध बिलोकि बरषत फूल {गीता.[बाल] 012.03} अनुकूल बचन कहत नेह नये हैं |{गीता.[बाल] 012.03} ऐसे पितु, मातु, पूत, त्रिय, परिजन बिधि{गीता.[बाल] 012.03} जानियत आयु भरि येई निरमये हैं ||{गीता.[बाल] 012.04} "अजर अमर होहु, "करौ हरिहर छोहु{गीता.[बाल] 012.04} जरठ जठेरिन्ह आसिरबाद दये हैं |{गीता.[बाल] 012.04} तुलसी सराहैं भाग तिन्हके, जिन्हके हिये {गीता.[बाल] 012.04} डिम्भ-राम-रुप-अनुराग रङ्ग रये हैं ||{गीता.[बाल] 013.राग} आसावरी{गीता.[बाल] 013.01} {गीता.[बाल] 013.01} "आजु अनरसे हैं भोरके, पय पियत न नीके |{गीता.[बाल] 013.01} रहत न बैठे, ठाढ़े, पालने झुलावत हू, रोवत राम मेरो {गीता.[बाल] 013.01} सो सोच सबहीके ||{गीता.[बाल] 013.02} देव, पितर, ग्रह पूजिये तुला तौलिये घीके |{गीता.[बाल] 013.02} तदपि कबहुँ कबहुँक सखी ऐसेहि अरत जब {गीता.[बाल] 013.02} परत दृष्टि दुष्ट तीके ||{गीता.[बाल] 013.03} बेगि बोलि कुलगुर, छुऔ माथे हाथ अमीके |{गीता.[बाल] 013.03} सुनत आइ ऋषि कुस हरे नरसिंह मन्त्र पढ़े, जो{गीता.[बाल] 013.03} सुमिरत भय भीके ||{गीता.[बाल] 013.04} जासु नाम सरबस सदासिव-पारबतीके |{गीता.[बाल] 013.04} ताहि झरावति कौसिला, यह रीति प्रीतिकी हिय {गीता.[बाल] 013.04} हुलसति तुलसीके ||{गीता.[बाल] 014.01} माथे हाथ ऋषि जब दियो राम किलकन लागे |{गीता.[बाल] 014.01} महिमा समुझि, लीला बिलोकि गुरु सजल नयन, तनु पुलक,{गीता.[बाल] 014.01} रोम रोम जागे ||{गीता.[बाल] 014.02} लिये गोद, धाए गोदतें, मोद मुनि मन अनुरागे |{गीता.[बाल] 014.02} निरखि मातु हरषी हिये आली-ओट कहति मृदु बचन {गीता.[बाल] 014.02} प्रेमके-से पागे ||{गीता.[बाल] 014.03} तुम्ह सुरतरु रघुबंसके, देत अभिमत माँगे |{गीता.[बाल] 014.03} मेरे बिसेषि गति रावरी, तुलसी प्रसाद जाके सकल{गीता.[बाल] 014.03} अमङ्गल भागे ||{गीता.[बाल] 015.01} अमिय-बिलोकनि करि कृपा मुनिबर जब जोए |{गीता.[बाल] 015.01} तबतें राम अरु भरत, लषन, रिपुदवन, सुमुख सखि, सकल {गीता.[बाल] 015.01} सुवन सुख सोए ||{गीता.[बाल] 015.02} सुमित्रा लाय हिये फनि मनि ज्यों गोए |{गीता.[बाल] 015.02} तुलसी नेवछावरि करति मातु अतिप्रेम-मगन-मन,{गीता.[बाल] 015.02} सजल सुलोचन कोये ||{गीता.[बाल] 016.01} मातु सकल, कुल-गुर-बधू, प्रिय सखी सुहाई |{गीता.[बाल] 016.01} सादर सब मङ्गल किए महि-मनि-महेस पर {गीता.[बाल] 016.01} सबनि सुधेनु दुहाई ||{गीता.[बाल] 016.02} बोलि भूपभूसुर लिये अति बिनय बड़ाई |{गीता.[बाल] 016.02} पूजि पायँ, सनमानि, दान दिये, लहि असीस, सुनि{गीता.[बाल] 016.02} बरषैं सुमन सुरसाईँ ||{गीता.[बाल] 016.03} घर-घर पुर बाजन लगीं आनन्द-बधाई |{गीता.[बाल] 016.03} सुख-सनेह तेहि समयको तुलसी जानै जाको चोर्यो{गीता.[बाल] 016.03} है चित चहुँ भाई ||{गीता.[बाल] 017.राग} धनाश्री{गीता.[बाल] 017.01} या सिसुके गुन नाम-बड़ाई |{गीता.[बाल] 017.01} को कहि सकै, सुनहु नरपति, श्रीपति समान प्रभुताई ||{गीता.[बाल] 017.02} जद्यपि बुधि, बय, रुप, सील, गुन समै चारु चार्यो भाई |{गीता.[बाल] 017.02} तदपि लोक-लोचन-चकोर-ससि राम भगत-सुखदाई ||{गीता.[बाल] 017.03} सुर, नर, मुनि करि अभय, दनुज हति, हरहि, धरनि गरुआई |{गीता.[बाल] 017.03} कीरति बिमल बिस्व-अघमोचनि रहिहि सकल जग छाई ||{गीता.[बाल] 017.04} याके चरन-सरोज कपट तजि जे भजिहै मन लाई |{गीता.[बाल] 017.04} ते कुल जुगल सहित तरिहैं भव, यह न कछू अधिकाई ||{गीता.[बाल] 017.05} सुनि गुरबचन पुलक तन दम्पति, हरष न हृदय समाई |{गीता.[बाल] 017.05} तुलसिदास अवलोकि मातु-मुख प्रभु मनमें मुसुकाई ||{गीता.[बाल] 018.राग} बिलावल{गीता.[बाल] 018.01} अवध आजु आगमी एकु आयो |{गीता.[बाल] 018.01} करतल निरखि कहत सब गुनगन, बहुतन्ह परिचौ पायो ||{गीता.[बाल] 018.02} बूढ़ो बड़ो प्रमानिक ब्राह्मन सङ्कर नाम सुहायो |{गीता.[बाल] 018.02} सँग सिसुसिष्य, सुनत कौसल्या भीतर भवन बुलायो ||{गीता.[बाल] 018.03} पायँ पखारि, पूजि दियो आसन असन बसन पहिरायो |{गीता.[बाल] 018.03} मेले चरन चारु चार्यो सुत माथे हाथ दिवायो ||{गीता.[बाल] 018.04} नखसिख बाल बिलोकि बिप्रतनु पुलक, नयन जल छायो |{गीता.[बाल] 018.04} लै लै गोद कमल-कर निरखत, उर प्रमोद न अमायो ||{गीता.[बाल] 018.05} जनम प्रसङ्ग कह्यो कौसिक मिस सीय-स्वयम्बर गायो |{गीता.[बाल] 018.05} राम, भरत, रिपुदवन, लखनको जय सुख सुजस सुनायो ||{गीता.[बाल] 018.06} तुलसिदास रनिवास रहसबस, भयो सबको मन भायो |{गीता.[बाल] 018.06} सनमान्यो महिदेव असीसत सानँद सदन सिधायो ||{गीता.[बाल] 019.राग} केदारा{गीता.[बाल] 019.01} पौढ़िये लालन, पालने हौं झुलावौं |{गीता.[बाल] 019.01} कर पद मुख चखकमल लसत लखि लोचन-भँवर भुलावौं ||{गीता.[बाल] 019.02} बाल-बिनोद-मोद-मञ्जुलमनि किलकनि-खानि खुलावौं |{गीता.[बाल] 019.02} तेइ अनुराग ताग गुहिबे कहँ मति मृगनयनि बुलावौं ||{गीता.[बाल] 019.03} तुलसी भनित भली भामिनि उर सो पहिराइ फुलावौं |{गीता.[बाल] 019.03} चारु चरित रघुबर तेरे तेहि मिलि गाइ चरन चितु लावौं ||{गीता.[बाल] 020.01} सोइये लाल लाडिले रघुराई |{गीता.[बाल] 020.01} मगन मोद लिये गोद सुमित्रा बार बार बलि जाई ||{गीता.[बाल] 020.02} हँसे हँसत, अनरसे अनरसत प्रतिबिम्बनि ज्यों झाँई |{गीता.[बाल] 020.02} तुम सबके जीवनके जीवन, सकल सुमङ्गलदाई ||{गीता.[बाल] 020.03} मूल मूल सुरबीथि-बेलि, तम-तोम सुदल अधिकाई |{गीता.[बाल] 020.03} नखत-सुमन, नभ-बिटप बौण्डि मानो छपा छिटकि छबि छाई ||{गीता.[बाल] 020.04} हौ जँभात, अलसात, तात! तेरी बानि जानि मैं पाई |{गीता.[बाल] 020.04} गाइ गाइ हलराइ बोलिहौं सुख नीन्दरी सुहाई ||{गीता.[बाल] 020.05} बछरु, छबीलो छगनमगन मेरे, कहति मल्हाइ मल्हाई |{गीता.[बाल] 020.05} सानुज हिय हुलसति तुलसीके प्रभुकी ललित लरिकाई ||{गीता.[बाल] 021.01} ललन लोने लेरुआ, बलि मैया |{गीता.[बाल] 021.01} सुख सोइए नीन्द-बेरिया भई, चारु-चरित चार्यो भैया ||{गीता.[बाल] 021.02} कहति मल्हाइ लाइ उर छिन-छिन, "छगन छबीले छोटे छैया |{गीता.[बाल] 021.02} मोद-कन्द कुल कुमुद-चन्द्र मेरे रामचन्द्र रघुरैया||{गीता.[बाल] 021.03} रघुबर बालकेलि सन्तनकी सुभग सुभद सुरगैया |{गीता.[बाल] 021.03} तुलसी दुहि पीवत सुख जीवत पय सप्रेम घनी घैया ||{गीता.[बाल] 022.01} सुखनीन्द कहति आलि आइहौं |{गीता.[बाल] 022.01} राम, लखन, रिपुदवन, भरत सिसु करि सब सुमुख सोआइहौं ||{गीता.[बाल] 022.02} रोवनि, धोवनि, अनखानि, अनरसनि, डिठि-मुठि निठुर नसाइहौं |{गीता.[बाल] 022.02} हँसनि, खेलनि, किलकनि, आनन्दनि भूपति-भवन बसाइहौं ||{गीता.[बाल] 022.03} गोद बिनोद-मोदमय मूरति हरषि हरषि हलराइहौं |{गीता.[बाल] 022.03} तनु तिल तिल करि, बारि रामपर, लेहौं रोग बलाइहौं ||{गीता.[बाल] 022.04} रानी-राउ सहित सुत परिजन निरखि नयन-फल पाइहौं |{गीता.[बाल] 022.04} चारु चरित रघुबंस-तिलकके तहँ तुलसी मिलि गाइहौं ||{गीता.[बाल] 023.राग} आसावरी {गीता.[बाल] 023.01} कनक-रतनमय पालनो रच्यो मनहुँ मार-सुतहार |{गीता.[बाल] 023.01} बिबिध खेलौना, किङ्किनी, लागे मञ्जुल मुकुताहार ||{गीता.[बाल] 023.01} रघुकुल-मण्डन राम लला ||{गीता.[बाल] 023.02} जननि उबटि, अन्हवाइकै, मनिभूषन सजि लिये गोद |{गीता.[बाल] 023.02} पौढ़ाए पटु पालने, सिसु निरखि मगन मन मोद ||{गीता.[बाल] 023.02} दसरथनन्दन राम लला ||{गीता.[बाल] 023.03} मदन, मोरकै चन्दकी झलकनि, निदरति तनु जोति |{गीता.[बाल] 023.03} नील कमल, मनि जलदकी उपमा कहे लघु मति होति ||{गीता.[बाल] 023.03} मातु-सुकृत-फल राम लला ||{गीता.[बाल] 023.04} लघु, लघु लोहित ललिक हैं पद, पानि, अधर एक रङ्ग |{गीता.[बाल] 023.04} को कबि जो छबि कहि सकै नखसिख सुन्दर सब अंग ||{गीता.[बाल] 023.04} परिजन-रञ्जन राम लला ||{गीता.[बाल] 023.05} पग नूपुर कटि किङ्किनी, कर-कञ्जनि पहुँची मञ्जु |{गीता.[बाल] 023.05} हिय हरि नख अदभुत बन्यो मानो मनसिज मनि-गन-गञ्जु ||{गीता.[बाल] 023.05} पुरजन-सिरमनि राम लला ||{गीता.[बाल] 023.06} लोयन नील सरोजसे, भ्रूपर मसिबिन्दु बिराज |{गीता.[बाल] 023.06} जनु बिधु-मुख-छबि-अमियको रच्छक राखै रसराज ||{गीता.[बाल] 023.06} सोभासागर राम लला ||{गीता.[बाल] 023.07} गभुआरी अलकावली लसै, लटकन ललित ललाट |{गीता.[बाल] 023.07} जनु उडुगन बिधु मिलनको चले तम बिदारि करि बाट ||{गीता.[बाल] 023.07} सहज सोहावनो राम लला ||{गीता.[बाल] 023.08} देखि खेलौना किलकहीं, पद पानि बिलोचन लोल |{गीता.[बाल] 023.08} बिचित्र बिहँग अलि-जलज ज्यों सुखमा-सर करत कलोल ||{गीता.[बाल] 023.08} भगत-कलपतरु राम लला ||{गीता.[बाल] 023.09} बाल-बोल बिनु अरथके सुनि देत पदारथ चारि |{गीता.[बाल] 023.09} जनु इन्ह बचनन्हितें भए सुरतरु तापस त्रिपुरारि ||{गीता.[बाल] 023.09} नाम-कामधुक राम लला ||{गीता.[बाल] 023.10} सखी सुमित्रा वारहीं मनि भूषन बसन बिभाग |{गीता.[बाल] 023.10} मधुर झुलाइ मल्हावहीं गावैं उमँगि उमँगि अनुराग ||{गीता.[बाल] 023.10} हैं जग-मङ्गल राम लला ||{गीता.[बाल] 023.11} मोती जायो सीपमें अरु अदिति जन्यो जग-भानु |{गीता.[बाल] 023.11} रघुपति जायो कौसिला गुन-मङ्गल-रूप-निधान ||{गीता.[बाल] 023.11} भुवन-बिभूषन राम लला ||{गीता.[बाल] 023.12} राम प्रगट जबतें भए गए सकल अमङ्गल-मूल |{गीता.[बाल] 023.12} मीत मुदित, हित उदित हैं, नित बैरिनके चित सूल ||{गीता.[बाल] 023.12} भव-भय-भञ्जन राम लला ||{गीता.[बाल] 023.13} अनुज-सखा-सिसु सङ्ग लै खेलन जैहैं चौगान |{गीता.[बाल] 023.13} लङ्का खरभर परैगी, सुरपुर बाजिहैं निसान ||{गीता.[बाल] 023.13} रिपुगन-गञ्जन राम लला ||{गीता.[बाल] 023.14} राम अहेरे चलहिङ्गे जब गज रथ बाजि सँवारि |{गीता.[बाल] 023.14} दसकन्धर उर धुकधुकी अब जनि धावै धनु-धारि ||{गीता.[बाल] 023.14} अरि-करि-केहरि राम लला ||{गीता.[बाल] 023.15} गीत सुमित्रा सखिन्हकै सुनि सुनि सुर मुनि अनुकूल |{गीता.[बाल] 023.15} दै असीस जय जय कहैं हरषैं बरषैं फूल ||{गीता.[बाल] 023.15} सुर-सुखदायक राम लला ||{गीता.[बाल] 023.16} बालचरितमय चन्द्रमा यह सोरह-कला-निधान |{गीता.[बाल] 023.16} चित-चकोर तुलसी कियो कर प्रेम-अमिय-रसपान ||{गीता.[बाल] 023.16} तुलसीको जीवन राम लला ||{गीता.[बाल] 024.राग} कान्हरा {गीता.[बाल] 024.01} पालने रघुपति झुलावै |{गीता.[बाल] 024.01} लै लै नाम सप्रेम सरस स्वर कौसल्या कल कीरति गावै ||{गीता.[बाल] 024.02} केकिकण्ठ दुति स्यामबरन बपु, बाल-बिभूषन बिरचि बनाए |{गीता.[बाल] 024.02} अलकैं कुटिल, ललित लटकनभ्रू, नील नलिन दोउ नयन सुहाए ||{गीता.[बाल] 024.03} सिसु-सुभाय सोहत जब कर गहि बदन निकट पदपल्लव लाए |{गीता.[बाल] 024.03} मनहुँ सुभग जुग भुजग जलज भरि लेत सुधा ससि सों सचु पाए ||{गीता.[बाल] 024.04} उपर अनूप बिलोकि खेलौना किलकत पुनि-पुनि पानि पसारत |{गीता.[बाल] 024.04} मनहुँ उभय अंभोज अरुन सों बिधु-भय बिनय करत अति आरत ||{गीता.[बाल] 024.05} तुलसिदास बहु बास बिबस अलि गुञ्जत, सुछबि न जाति बखानी |{गीता.[बाल] 024.05} मनहुँ सकल श्रुति ऋचा मधुप ह्वै बिसद सुजस बरनत बर बानी ||{गीता.[बाल] 025.राग} बिलावल{गीता.[बाल] 025.01} झूलत राम पालने सोहैं | भूरि-भाग जननीजन जोहैं ||{गीता.[बाल] 025.02} तन मृदु मञ्जुल मेचकताई | झलकति बाल बिभूषन झाँई ||{गीता.[बाल] 025.03} अधर-पानि-पद लोहित लोने | सर-सिङ्गार-भव सारस सोने ||{गीता.[बाल] 025.04} किलकत निरखि बिलोल खेलौना | मनहुँ बिनोद लरत छबि छौना ||{गीता.[बाल] 025.05} रञ्जित-अंजन कञ्ज-बिलोचन | भ्राजत भाल तिलक गोरोचन ||{गीता.[बाल] 025.06} लस मसिबिन्दु बदन-बिधु नीको | चितवत चितचकोर तुलसीको ||{गीता.[बाल] 026.राग} कल्याण{गीता.[बाल] 026.01} राजत सिसुरूप राम सकल गुन-निकाय-धाम,{गीता.[बाल] 026.01} कौतुकी कृपालु ब्रह्म जानु-पानि-चारी |{गीता.[बाल] 026.01} नीलकञ्ज-जलदपुञ्ज-मरकतमनि-सरिस स्याम,{गीता.[बाल] 026.01} काम कोटि सोभा अंग अंग उपर बारी ||{गीता.[बाल] 026.02} हाटक-मनि-रत्न-खचित रचित इंद्र-मन्दिराभ,{गीता.[बाल] 026.02} इंदिरानिवास सदन बिधि रच्यो सँवारी |{गीता.[बाल] 026.02} बिहरत नृप-अजिर अनुज सहित बालकेलि-कुसल,{गीता.[बाल] 026.02} नील-जलज-लोचन हरि मोचन भय भारी ||{गीता.[बाल] 026.03} अरुन चरन अंकुस-धुज-कञ्ज-कुलिस-चिन्ह रुचिर, {गीता.[बाल] 026.03} भ्राजत अति नूपुर बर मधुर मुखरकारी |{गीता.[बाल] 026.03} किङ्किनी बिचित्र जाल, कम्बुकण्ठ ललित माल, {गीता.[बाल] 026.03} उर बिसाल केहरि-नख, कङ्कन करधारी ||{गीता.[बाल] 026.04} चारु चिबुक नासिका कपोल, भाल तिलक, भ्रुकुटि,{गीता.[बाल] 026.04} श्रवन अधर सुन्दर, द्विज-छबि अनूप न्यारी |{गीता.[बाल] 026.04} मनहुँ अरुन कञ्ज-कोस मञ्जुल जुगपाँति प्रसव,{गीता.[बाल] 026.04} कुन्दकली जुगल जुगल परम सुभ्रवारी ||{गीता.[बाल] 026.05} चिक्कन चिकुरावली मनो षडङ्घ्रि-मण्डली,{गीता.[बाल] 026.05} बनी, बिसेषि गुञ्जत जनु बालक किलकारी |{गीता.[बाल] 026.05} इकटक प्रतिबिम्ब निरखि पुलकत हरि हरषि हरषि, {गीता.[बाल] 026.05} लै उछङ्ग जननी रसभङ्ग जिय बिचारी ||{गीता.[बाल] 026.06} जाकहँ सनकादि सम्भु नारदादि सुक मुनीन्द्र,{गीता.[बाल] 026.06} करत बिबिध जोग काम क्रोध लोभ जारी |{गीता.[बाल] 026.06} दसरथ गृह सोइ उदार, भञ्जन संसार-भार,{गीता.[बाल] 026.06} लीला अवतार तुलसिदास-त्रासहारी ||{गीता.[बाल] 027.राग} कान्हरा{गीता.[बाल] 027.01} आँगन फिरत घुटुरुवनि धाए |{गीता.[बाल] 027.01} नील-जलद तनु-स्याम राम-सिसु जननि निरखि मुख निकट बोलाए ||{गीता.[बाल] 027.02} बन्धुक सुमन अरुन पद-पङ्कज अंकुस प्रमुख चिन्ह बनि आए |{गीता.[बाल] 027.02} नूपुर जनु मुनिबर-कलहंसनि रचे नीड़ दै बाँह बसाए ||{गीता.[बाल] 027.03} कटिमेखल, बर हार ग्रीव-दर, रुचिर बाँह भूषन पहिराए |{गीता.[बाल] 027.03} उर श्रीवत्स मनोहर हरिनख हेम मध्य मनिगन बहु लाए ||{गीता.[बाल] 027.04} सुभग चिबुक, द्विज, अधर, नासिका, श्रवन, कपोल मोहि अति भाए |{गीता.[बाल] 027.04} भ्रू सुन्दर करुनारस-पूरन, लोचन मनहु जुगल जलजाए ||{गीता.[बाल] 027.05} भाल बिसाल ललित लटकन बर, बालदसाके चिकुर सोहाए |{गीता.[बाल] 027.05} मनु दोउ गुर सनि कुज आगे करि ससिहि मिलन तमके गन आए ||{गीता.[बाल] 027.06} उपमा एक अभूत भई तब जब जननी पट पीत ओढ़ाए |{गीता.[बाल] 027.06} नील जलदपर उडुगन निरखत तजि सुभाव मनो तड़ित छपाए ||{गीता.[बाल] 027.07} अंग-अंगपर मार-निकर मिलि छबि समूह लै-लै जनु छाए |{गीता.[बाल] 027.07} तुलसिदास रघुनाथ रूप-गुन तौ कहौं जो बिधि होहिं बनाए ||{गीता.[बाल] 028.राग} केदारा{गीता.[बाल] 028.01} रघुबर बाल छबि कहौं बरनि |{गीता.[बाल] 028.01} सकल सुखकी सींव, कोटि-मनोज-सोभाहरनि ||{गीता.[बाल] 028.02} बसी मानहु चरन-कमलनि अरुनता तजि तरनि |{गीता.[बाल] 028.02} रुचिर नूपुर किङ्किनी मन हरति रुनझुनु करनि ||{गीता.[बाल] 028.03} मञ्जु मेचक मृदुल तनु अनुहरति भूषन भरनि |{गीता.[बाल] 028.03} जनु सुभग सिङ्गार सिसु तरु फर्यो है अदभुत फरनि ||{गीता.[बाल] 028.04} भुजनि भुजग, सरोज नयननि, बदन बिधु जित्यो लरनि |{गीता.[बाल] 028.04} रहे कुहरनि सलिल, नभ, उपमा अपर दुरि डरनि ||{गीता.[बाल] 028.05} लसत कर-प्रतिबिम्ब मनि-आँगन घुटुरुवनि चरनि |{गीता.[बाल] 028.05} जनु जलज-सम्पुट सुछबि भरि-भरि धरति उर धरनि ||{गीता.[बाल] 028.06} पुन्यफल अनुभवति सुतहि बिलोकि दसरथ-घरनि |{गीता.[बाल] 028.06} बसति तुलसी-हृदय प्रभु-किलकनि ललित लरखरनि ||{गीता.[बाल] 029.01} नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि |{गीता.[बाल] 029.01} चारु फल त्रिपुरारि तोको दिये कर नृप-घरनि ||{गीता.[बाल] 029.02} बाल भूषन बसन, तन सुन्दर रुचिर रजभरनि |{गीता.[बाल] 029.02} परसपर खेलनि अजिर, उठि चलनि, गिरि गिरि परनि ||{गीता.[बाल] 029.03} झुकनि, झाँकनि, छाँह सों किलकनि, नटनि हठि लरनि |{गीता.[बाल] 029.03} तोतरी बोलनि, बिलोकनि, मोहनी मनहरनि ||{गीता.[बाल] 029.04} सखि-बचन सुनि कौसिला लखि सुढर पासे ढरनि |{गीता.[बाल] 029.04} लेति भरि भरि अंक सैन्तति पैन्त जनु दुहु करनि ||{गीता.[बाल] 029.05} चरित निरखत बिबुध तुलसी ओट दै जलधरनि |{गीता.[बाल] 029.05} चहत सुर सुरपति भयो सुरपति भये चहै तरनि ||{गीता.[बाल] 030.राग} जैतश्री {गीता.[बाल] 030.01} भूमितल भूपके बड़े भाग |{गीता.[बाल] 030.01} राम लखन रिपुदमन भरत सिसु निरखत अति अनुराग ||{गीता.[बाल] 030.02} बालबिभूषन लसत पायँ मृदु मञ्जुल अंग-बिभाग |{गीता.[बाल] 030.02} दसरथ-सुकृत मनोहर बिरवनि रूप-करह जनु लाग ||{गीता.[बाल] 030.03} राजमराल बिराजत बिहरत जे हर-हृदय-तड़ाग |{गीता.[बाल] 030.03} ते नृप-अजिर जानु कर धावत धरन चटक चल काग ||{गीता.[बाल] 030.04} सिद्ध सिहात, सराहत मुनिगन, कहैं सुर किन्नर नाग |{गीता.[बाल] 030.04} "ह्वै बरु बिहँग बिलोकिय बालक बसि पुर उपबन बाग||{गीता.[बाल] 030.05} परिजन सहित राय रानिन्ह कियो मज्जन प्रेम-प्रयाग |{गीता.[बाल] 030.05} तुलसी फल ताके चार्यो मनि मरकत पङ्कजराग ||{गीता.[बाल] 031.राग} आसावरी{गीता.[बाल] 031.01} छँगन मँगन अँगना खेलत चारु चार्यो भाई |{गीता.[बाल] 031.01} सानुज भरत लाल लषन राम लोने लोने {गीता.[बाल] 031.01} लरिका लखि मुदित मातु समुदाई ||{गीता.[बाल] 031.02} बाल बसन भूषन धरे, नख-सिख छबि छाई |{गीता.[बाल] 031.02} नील पीत मनसिज-सरसिज मञ्जुल {गीता.[बाल] 031.02} मालनि मानो है देहनितें दुति पाई ||{गीता.[बाल] 031.03} ठुमुकु ठुमुकु पग धरनि, नटनि, लरखरनि सुहाई |{गीता.[बाल] 031.03} भजनि, मिलनि, रुठनि, तूठनि, किलकनि,{गीता.[बाल] 031.03} अवलोकनि, बोलनि बरनि न जाई ||{गीता.[बाल] 031.04} जननि सकल चहुँ ओर आलबाल मनि-अँगनाई |{गीता.[बाल] 031.04} दसरथ-सुकृत बिबुध-बिरवा बिलसत {गीता.[बाल] 031.04} बिलोकि जनु बिधि बर बारि बनाई ||{गीता.[बाल] 031.05} हरि बिरञ्चि हर हेरि राम प्रेम-परबसताई |{गीता.[बाल] 031.05} सुख-समाज रघुराजके बरनत {गीता.[बाल] 031.05} बिसुद्ध मन सुरनि सुमन झरि लाई ||{गीता.[बाल] 031.06} सुमिरत श्रीरघुबरनिकी लीला लरिकाई |{गीता.[बाल] 031.06} तुलसिदास अनुराग अवध आनँद {गीता.[बाल] 031.06} अनुभवत तब को सो अजहुँ अघाई ||{गीता.[बाल] 032.राग} बिलावल{गीता.[बाल] 032.01} आँगन खेलत आनँदकन्द | रघुकुल-कुमुद-सुखद चारु चन्द ||{गीता.[बाल] 032.02} सानुज भरत लषन सँग सोहैं | सिसु-भूषन भूषित मन मोहैं |{गीता.[बाल] 032.02} तन दुति मोरचन्द जिमि झलकैं | मनहुँ उमगि अँग-अँग छबि छलकैं ||{गीता.[बाल] 032.03} कटि किङ्किनि पग पैजनि बाजैं | पङ्कज पानि पहुँचिआँ राजैं |{गीता.[बाल] 032.03} कठुला कण्ठ बघनहा नीके | नयन-सरोज-मयन-सरसीके ||{गीता.[बाल] 032.04} लटकन लसत ललाट लटूरीं | दमकति द्वै द्वै दँतुरियाँ रुरीं |{गीता.[बाल] 032.04} मुनि-मन हरत मञ्जु मसि बुन्दा | ललित बदन बलि बाल मुकुन्दा ||{गीता.[बाल] 032.05} कुलही चित्र बिचित्र झँगूलीं | निरखत मातु मुदित मन फूलीं |{गीता.[बाल] 032.05} गहि मनिखम्भ डिम्भ डगि डोलत | कल बल बचन तोतरे बोलत ||{गीता.[बाल] 032.06} किलकत, झुकि झाँकत प्रतिबिम्बनि | देत परम सुख पितु अरु अंबनि |{गीता.[बाल] 032.06} सुमिरत सुखमा हिय हुलसी है | गावत प्रेम पुलकि तुलसी है ||
{गीता.[बाल] 033.राग} कान्हरा
{गीता.[बाल] 033.01} ललित सुतहि लालति सचु पाये |
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