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'''दुलार'''
 
 
 
 
{गीता.[बाल] 033.राग} कान्हरा
{गीता.[बाल] 033.01} ललित सुतहि लालति सचु पाये |
{गीता.[बाल] 033.01} कौसल्या कल कनक अजिर महँ सिखवति चलन अँगुरियाँ लाये ||
{गीता.[बाल] 033.02} कटि किङ्किनी, पैजनी पायनि बाजति रुनझुन मधुर रेङ्गाये |
{गीता.[बाल] 033.02} पहुँची करनि, कण्ठ कठुला बन्यो केहरि नख मनि-जरित जराये ||
{गीता.[बाल] 033.03} पीत पुनीत बिचित्र झँगुलिया सोहति स्याम सरीर सोहाये |
{गीता.[बाल] 033.03} दँतियाँ द्वै-द्वै मनोहर मुख छबि, अरुन अधर चित लेत चोराये ||
{गीता.[बाल] 033.04} चिबुक कपोल नासिका सुन्दर, भाल तिलक मसिबिन्दु बनाये |
{गीता.[बाल] 033.04} राजत नयन मञ्जु अंजनजुत खञ्जन कञ्ज मीन मद नाये ||
{गीता.[बाल] 033.05} लटकन चारु भ्रुकुटिया टेढ़ी, मेढ़ी सुभग सुदेस सुभाये |
{गीता.[बाल] 033.05} किलकि किलकि नाचत चुटकी सुनि, डरपति जननि पानि छुटकाये ||
{गीता.[बाल] 033.06} गिरि घुटुरुवनि टेकि उठि अनुजनि तोतरि बोलत पूप देखाये |
{गीता.[बाल] 033.06} बाल-केलि अवलोकि मातु सब मुदित मगन आनँद न अमाये ||
{गीता.[बाल] 033.07} देखत नभ घन-ओट चरित मुनि जोग समाधि बिरति बिसराये |
{गीता.[बाल] 033.07} तुलसिदास जे रसिक न यहि रस ते नर जड जीवत जग जाये ||
{गीता.[बाल] 034.राग} ललित
{गीता.[बाल] 034.01} छोटी छोटी गोड़ियाँ अँगुरियाँ छबीलीं छोटी,
{गीता.[बाल] 034.01} नख-जोति मोती मानो कमल-दलनिपर |
{गीता.[बाल] 034.01} ललित आँगन खेलैं, ठुमुकु ठुमुकु चलैं,
{गीता.[बाल] 034.01} झुँझुनु झुँझुनु पाँय पैजनी मृदु मुखर ||
{गीता.[बाल] 034.02} किङ्किनी कलित कटि हाटक जटित मनि,
{गीता.[बाल] 034.02} मञ्जु कर-कञ्जनि पहुँचियाँ रुचिरतर |
{गीता.[बाल] 034.02} पियरी झीनी झँगुली साँवरे सरीर खुली,
{गीता.[बाल] 034.02} बालक दामिनि ओढ़ी मानो बारे बारिधर ||
{गीता.[बाल] 034.03} उर बघनहा, कण्ठ कठुला, झँडूले केश,
{गीता.[बाल] 034.03} मेढ़ी लटकन मसिबिन्दु मुनि-मन-हर |
{गीता.[बाल] 034.03} अंजन-रञ्जित नैन, चित चोरै चितवनि,
{गीता.[बाल] 034.03} मुख-सोभापर वारौं अमित असमसर ||
{गीता.[बाल] 034.04} चुटकी बजावती नचावती कौसल्या माता,
{गीता.[बाल] 034.04} बालकेलि गावती मल्हावती सुप्रेम-भर |
{गीता.[बाल] 034.04} किलकि किलकि हँसैं, द्वै-द्वै दँतुरियाँ लसैं,
{गीता.[बाल] 034.04} तुलसीके मन बसैं तोतरे बचन बर ||
{गीता.[बाल] 035.01} सादर सुमुखि बिलोकि राम-सिसुरूप, अनूप भूप लिये कनियाँ |
{गीता.[बाल] 035.01} सुदंर स्याम सरोज बरन तनु, नखसिख सुभग सकल सुखदनियाँ ||
{गीता.[बाल] 035.02} अरुन चरन नखजोति जगमगति, रुनझुनु करति पाँय पैञ्जनियाँ |
{गीता.[बाल] 035.02} कनक-रतन-मनि जटित रटति कटि किङ्किनि
{गीता.[बाल] 035.02} कलित पीतपट-तनियाँ ||2.|
{गीता.[बाल] 035.03} पहुँची करनि, पदिक हरिनख उर, कठुला कण्ठ, मञ्जु गजमनियाँ |
{गीता.[बाल] 035.03} रुचिर चिबुक, रद, अधर मनोहर, ललित
{गीता.[बाल] 035.03} नासिका लसति नथुनियाँ ||
{गीता.[बाल] 035.04} बिकट भ्रुकुटि, सुखमानिधि आनन, कल
{गीता.[बाल] 035.04} कपोल, काननि नगफनियाँ |
{गीता.[बाल] 035.04} भाल तिलक मसिबिन्दु बिराजत, सोहति सीस लाल चौतनियाँ ||
{गीता.[बाल] 035.05} मनमोहनी तोतरी बोलनि, मुनि-मन-हरनि हँसनि किलकनियाँ |
{गीता.[बाल] 035.05} बाल सुभाय बिलोल बिलोचन, चोरति चितहि चारु चितवनियाँ ||
{गीता.[बाल] 035.06} सुनि कुलबधू झरोखनि झाँकति रामचन्द्र-छबि चन्दबदनियाँ |
{गीता.[बाल] 035.06} तुलसीदास प्रभु देखि मगन भईं प्रेमबिबस कछु सुधि न अपनियाँ ||
{गीता.[बाल] 036.राग} बिलावल
{गीता.[बाल] 036.01} सोहत सहज सुहाये नैन |
{गीता.[बाल] 036.01} खञ्जन मीन कमल सकुचत तब जब उपमा चाहत कबि दैन ||
{गीता.[बाल] 036.02} सुन्दर सब अंगनि सिसु-भूषन राजत जनु सोभा आये लैन |
{गीता.[बाल] 036.02} बड़ो लाभ, लालची लोभबस रहि गयो लखि सुखमा बहु मैन ||
{गीता.[बाल] 036.03} भोर भूप लिये गोद मोद भरे, निरखत बदन, सुनत कल बैन |
{गीता.[बाल] 036.03} बालक-रूप अनूप राम-छबि निवसति तुलसिदास-उर-ऐन ||
{गीता.[बाल] 037.राग} बिभास
{गीता.[बाल] 037.01} भोर भयो जागहु, रघुनन्दन | गत-व्यलीक भगतनि उर-चन्दन ||
{गीता.[बाल] 037.02} ससि करहीन, छीन दुति तारे | तमचुर मुखर, सुनहु मेरे प्यारे ||
{गीता.[बाल] 037.03} बिकसित कञ्ज, कुमुद बिलखाने | लै पराग रस मधुप उड़ाने ||
{गीता.[बाल] 037.04} अनुज सखा सब बोलनि आये | बन्दिन्ह अति पुनीत गुन गाये ||
{गीता.[बाल] 037.05} मनभावतो कलेऊ कीजै | तुलसिदास कहँ जूठनि दीजै ||
{गीता.[बाल] 038.01} प्रात भयो तात, बलि मातु बिधु-बदनपर
{गीता.[बाल] 038.01} मदन वारौं कोटि, उठो प्रान-प्यारे !
{गीता.[बाल] 038.01} सूत-मागध-बन्दि बदत बिरुदावली,
{गीता.[बाल] 038.01} द्वार सिसु अनुज प्रियतम तिहारे ||
{गीता.[बाल] 038.02} कोक गतसोक अवलोकि ससि छीनछबि,
{गीता.[बाल] 038.02} अरुनमय गगन राजत रुचि तारे |
{गीता.[बाल] 038.02} मनहुँ रबि बाल मृगराज तमनिकर-करि
{गीता.[बाल] 038.02} दलित, अति ललित मनिगन बिथारे ||
{गीता.[बाल] 038.03} सुनहु तमचुर मुखर,कीर कलहंस पिक
{गीता.[बाल] 038.03} केकि रव कलित, बोलत बिहँग बारे |
{गीता.[बाल] 038.03} मनहुँ मुनिबृन्द रघुबंसमनि! रावरे
{गीता.[बाल] 038.03} गुनत गुन आश्रमनि सपरिवारे ||
{गीता.[बाल] 038.04} सरनि बिकसित कञ्जपुञ्ज मकरन्दवर,
{गीता.[बाल] 038.04} मञ्जुतर मधुर मधुकर गुँजारे |
{गीता.[बाल] 038.04} मनहुँ प्रभुजनम सुनि चैन अमरावती,
{गीता.[बाल] 038.04} इन्दिरानन्द-मन्दिर सँवारे ||
{गीता.[बाल] 038.05} प्रेम-सम्मिलित बर बचन-रचना अकनि
{गीता.[बाल] 038.05} राम राजीव-लोचन उघारे |
{गीता.[बाल] 038.05} दास तुलसी मुदित, जननि करै आरती,
{गीता.[बाल] 038.05} सहज सुन्दर अजिर पाँव धारे ||
{गीता.[बाल] 039.01} जागिये कृपानिधान जानराय रामचन्द्र
{गीता.[बाल] 039.01} जननी कहै बार-बार भोर भयो प्यारे |
{गीता.[बाल] 039.01} राजिवलोचन बिसाल, प्रीति-बापिका मराल,
{गीता.[बाल] 039.01} ललित कमल-बदन ऊपर मदन कोटि बारे ||
{गीता.[बाल] 039.02} अरुन उदित, बिगत सरबरी, ससाङ्क किरनहीन,
{गीता.[बाल] 039.02} दीन दीपजोति, मलिन, दुति समूह तारे |
{गीता.[बाल] 039.02} मनहुँ ग्यानघन-प्रकास, बीते सब भव-बिलास
{गीता.[बाल] 039.02} आस-त्रास तिमिर तोष तरनि-तेज जारे ||
{गीता.[बाल] 039.03} बोलत खगनिकर मुखर मधुर करि प्रतीति सुनहु
{गीता.[बाल] 039.03} श्रवन, प्रानजीवन धन, मेरे तुम बारे |
{गीता.[बाल] 039.03} मनहुँ बेद-बन्दी-मुनिबृन्द-सूत-मागधादि
{गीता.[बाल] 039.03} बिरुद बदत "जय जय जय जयति कैटभारे||
{गीता.[बाल] 039.04} बिकसित कमलावली, चले प्रपुञ्ज चञ्चरीक,
{गीता.[बाल] 039.04} गुञ्जत कल कोमल धुनि त्यागि कञ्ज न्यारे |
{गीता.[बाल] 039.04} जनु बिराग पाइ सकल सोक-कूप-गृह बिहाइ
{गीता.[बाल] 039.04} भृत्य प्रेममत्त फिरत गुनत गुन तिहारे ||
{गीता.[बाल] 039.05} सुनत बचन प्रिय रसाल जागे अतिसय दयाल
{गीता.[बाल] 039.05} भागे जञ्जाल बिपुल, दुख-कदम्ब दारे |
{गीता.[बाल] 039.05} तुलसिदास अति अनन्द देखिकै मुखारबिन्द,
{गीता.[बाल] 039.05} छूटे भ्रमफन्द परम मन्द द्वन्द भारे ||
{गीता.[बाल] 040.01} बोलत अवनिप-कुमार ठाढ़े नृपभवन-द्वार,
{गीता.[बाल] 040.01} रुप-सील-गुन उदार जागहु मेरे प्यारे |
{गीता.[बाल] 040.01} बिलखित कुमुदनि, चकोर, चक्रवाक हरष भोर,
{गीता.[बाल] 040.01} करत सोर तमचुर खग, गुञ्जत अलि न्यारे ||
{गीता.[बाल] 040.02} रुचिर मधुर भोजन करि, भूषन सजि सकल अंग,
{गीता.[बाल] 040.02} सङ्ग अनुज बालक सब बिबिध बिधि सँवारे |
{गीता.[बाल] 040.02} करतल गहि ललित चाप भञ्जन रिपु-निकर-दाप,
{गीता.[बाल] 040.02} कटितट पटपीत, तून सायक अनियारे ||
{गीता.[बाल] 040.03} उपबन मृगया-बिहार-कारन गवने कृपाल,
{गीता.[बाल] 040.03} जननी मुख निरखि पुन्यपुञ्ज निज बिचारे |
{गीता.[बाल] 040.03} तुलसिदास सङ्ग लीजै, जानि दीन अभय कीजै
{गीता.[बाल] 040.03} दीजै मति बिमल गावै चरित बर तिहारे ||
{गीता.[बाल] 041.राग} नट
{गीता.[बाल] 041.01} खेलन चलिये आनँदकन्द |
{गीता.[बाल] 041.01} सखा प्रिय नृपद्वार ठाढ़े बिपुल बालक-बृन्द ||
{गीता.[बाल] 041.02} तृषित तुम्हरे दरस कारन चतुर चातक-दास |
{गीता.[बाल] 041.02} बपुष-बारिद बरषि छबि-जल हरहु लोचन-प्यास ||
{गीता.[बाल] 041.03} बन्धु-बचन बिनीत सुनि उठे मनहुँ केहरि-बाल |
{गीता.[बाल] 041.03} ललित लघु सर-चाप कर, उर-नयन-बाहु बिसाल ||
{गीता.[बाल] 041.04} चलत पद प्रतिबिम्ब राजत अजिर सुखमा-पुञ्ज |
{गीता.[बाल] 041.04} प्रेमबस प्रति चरन महि मानो देति आसन कञ्ज ||
{गीता.[बाल] 041.05} निरखि परम बिचित्र सोभा चकित चितवहिं मात |
{गीता.[बाल] 041.05} हरष-बिबस न जात कहि, "निज भवन बिहरहु, तात ||
{गीता.[बाल] 041.06} देखि तुलसीदास प्रभु-छबि रहे सब पल रोकि |
{गीता.[बाल] 041.06} थकित निकर चकोर मानहुँ सरद इंदु बिलोकि ||
{गीता.[बाल] 042.01} बिहरत अवध-बीथिन राम |
{गीता.[बाल] 042.01} सङ्ग अनुज अनेक सिसु, नव-नील-नीरद स्याम ||
{गीता.[बाल] 042.02} तरुन अरुन-सरोज-पद बनी कनकमय पदत्रान |
{गीता.[बाल] 042.02} पीत-पट कटि तून बर, कर ललित लघु धनु-बान ||
{गीता.[बाल] 042.03} लोचननिको लहत फल छबि निरखि पुर-नर-नारि |
{गीता.[बाल] 042.03} बसत तुलसीदास उर अवधेसके सुत चारि ||
{गीता.[बाल] 043.01} जैसे राम ललित तैसे लोने लषन लालु |
{गीता.[बाल] 043.01} तैसेई भरत सील-सुखमा-सनेह-निधि, तैसेई सुभग सँग सत्रुसालु ||
{गीता.[बाल] 043.02} धरे धनु-सर कर, कसे कटि तरकसी, पीरे पट ओढ़े चले चारु चालु |
{गीता.[बाल] 043.02} अंग-अंग भूषन जरायके जगमगत, हरत जनके जीको तिमिरजालु ||
{गीता.[बाल] 043.03} खेलत चौहट घाट बीथी बाटिकनि प्रभु सिव सुप्रेम-मानस-महालु |
{गीता.[बाल] 043.03} सोभा-दान दै दै सनमानत जाचकजन करत लोक-लोचन निहालु ||
{गीता.[बाल] 043.04} रावन-दुरित-दुख दलैं सुर कहैं आजु "अवध सकल सुखको सुकालु|
{गीता.[बाल] 043.04} तुलसी सराहैं सिद्ध सुकृत कौसल्याजूके, भूरि भाग-भाजन भुवालु ||
{गीता.[बाल] 044.राग} ललित
{गीता.[बाल] 044.01} ललित-ललित लघु-लघु धनु-सर कर,
{गीता.[बाल] 044.01} तैसी तरकसी कटि कसे, पट पियरे |
{गीता.[बाल] 044.01} ललित पनही पाँय पैञ्जनी-किङ्किनि-धुनि,
{गीता.[बाल] 044.01} सुनि सुख लहै मनु, रहै नित नियरे ||
{गीता.[बाल] 044.02} पहुँची अंगद चारु, हृदय पदिक हारु,
{गीता.[बाल] 044.02} कुण्डल-तिलक-छबि गड़ी कबि जियरे |
{गीता.[बाल] 044.02} सिरसि टिपारो लाल, नीरज-नयन बिसाल,
{गीता.[बाल] 044.02} सुन्दर बदन, ठाढ़े सुरतरु सियरे ||
{गीता.[बाल] 044.03} सुभग सकल अंग, अनुज बालक सङ्ग,
{गीता.[बाल] 044.03} देखि नर-नारि रहैं ज्यों कुरङ्ग दियरे |
{गीता.[बाल] 044.03} खेलत अवध-खोरि, गोली भौंरा चक डोरि,
{गीता.[बाल] 044.03} मुरति मधुर बसै तुलसीके हियरे ||
{गीता.[बाल] 045.01} छोटिऐ धनुहियाँ, पनहियाँ पगनि छोटी,
{गीता.[बाल] 045.01} छोटिऐ कछौटी कटि, छोटिऐ तरकसी |
{गीता.[बाल] 045.01} लसत झँगूली झीनी, दामिनिकी छबि छीनी,
{गीता.[बाल] 045.01} सुन्दर बदन, सिर पगिया जरकसी ||
{गीता.[बाल] 045.02} बय-अनुहरत बिभूषन बिचित्र अंग,
{गीता.[बाल] 045.02} जोहे जिय आवति सनेह की सरक सी |
{गीता.[बाल] 045.02} मुरतिकी सूरति कही न परै तुलसी पै,
{गीता.[बाल] 045.02} जानै सोई जाके उर कसकै करक सी ||
{गीता.[बाल] 046.राग} टोड़ी
{गीता.[बाल] 046.01} राम-लषन इक ओर, भरत-रिपुदवन लाल इक ओर भये |
{गीता.[बाल] 046.01} सरजुतीर सम सुखद भूमि-थल, गनि-गनि गोइयाँ बाँटि लये ||
{गीता.[बाल] 046.02} कन्दुक-केलि-कुसल हय चढ़ि-चढ़ि, मन कसि-कसि ठोङ्कि-ठोङ्कि खये |
{गीता.[बाल] 046.02} कर-कमलनि बिचित्र चौगानैं, खेलन लगे खेल रिझये ||
{गीता.[बाल] 046.03} ब्योम बिमाननि बिबुध बिलोकत खेलक पेखक छाँह छये |
{गीता.[बाल] 046.03} सहित समाज सराहि दसरथहि बरषत निज तरु-कुसुम-चये ||
{गीता.[बाल] 046.04} एक लै बढ़त एक फेरत, सब प्रेम-प्रमोद-बिनोद-मये |
{गीता.[बाल] 046.04} एक कहत भै हार रामजूकी, एक कहत भैया भरत जये ||
{गीता.[बाल] 046.05} प्रभु बकसत गज बाजि, बसन-मनि, जय धुनि गगन निसान हये |
{गीता.[बाल] 046.05} पाइ सखा-सेवक जाचक भरि जनम न दुसरे द्वार गये ||
{गीता.[बाल] 046.06} नभ-पुर परति निछावरि जहँ तहँ, सुर-सिद्धनि बरदान दये |
{गीता.[बाल] 046.06} भूरि-भाग अनुराग उमगि जे गावत-सुनत चरित नित ये ||
{गीता.[बाल] 046.07} हारे हरष होत हिय भरतहि, जिते सकुच सिर नयन नये |
{गीता.[बाल] 046.07} तुलसी सुमिरि सुभाव-सील सुकृती तेइ जे एहि रङ्ग रए ||
{गीता.[बाल] 046.02} खेलि खेल सुखेलनिहारे |
{गीता.[बाल] 046.02} उतरि उतरि, चुचुकारि तुरङ्गनि, सादर जाइ जोहारे ||1.
{गीता.[बाल] 046.02} बन्धु-सखा-सेवक सराहि, सनमानि सनेह सँभारे |
{गीता.[बाल] 046.02} दिये बसन-गज-बाजि साजि सुभ साज सुभाँति सँवारे ||
{गीता.[बाल] 046.03} मुदित नयन-फल पाइ, गाइ गुन सुर सानन्द सिधारे |
{गीता.[बाल] 046.03} सहित समाज राजमन्दिर कहँ राम राउ पगु धारे ||
{गीता.[बाल] 046.04} भूप-भवन घर-घर घमण्ड कल्यान कोलाहल भारे |
{गीता.[बाल] 046.04} निरखि हरषि आरती-निछावरि करत सरीर बिसारे ||
{गीता.[बाल] 046.05} नित नए मङ्गल-मोद अवध सब, सब बिधि लोग सुखारे |
{गीता.[बाल] 046.05} तुलसी तिन्ह सम तेउ जिन्हके प्रभुतें प्रभु-चरित पियारे ||
{गीता.[बाल] 047.01} विश्र्वामित्रजीका आगमन
{गीता.[बाल] 047.राग} सारङ्ग
{गीता.[बाल] 047.01} चहत महामुनि जाग जयो |
{गीता.[बाल] 047.01} नीच निसाचर देत दुसह दुख, कृस तनु ताप तयो ||
{गीता.[बाल] 047.02} सापे पाप, नये निदरत खल, तब यह मन्त्र ठयो |
{गीता.[बाल] 047.02} बिप्र-साधु-सुर-धेनु-धरनि-हित हरि अवतार लयो ||
{गीता.[बाल] 047.03} सुमिरत श्रीसारङ्गपानि छनमें सब सोच गयो |
{गीता.[बाल] 047.03} चले मुदित कौसिक कोसलपुर, सगुननि साथ दयो ||
{गीता.[बाल] 047.04} करत मनोरथ जात पुलकि, प्रगटत आनन्द नयो |
{गीता.[बाल] 047.04} तुलसी प्रभु-अनुराग उमगि मग मङ्गल मूल भयो ||
{गीता.[बाल] 048.01} आजु सकल सुकृत फलु पाइहौं |
{गीता.[बाल] 048.01} सुखकी सींव, अवधि आनँदकी अवध बिलोकि हौं पाइहौं ||
{गीता.[बाल] 048.02} सुतनि सहित दसरथहि देखिहौं, प्रेम पुलकि उर लाइहौं |
{गीता.[बाल] 048.02} रामचन्द्र-मुखचन्द्र-सुधा-छबि नयन-चकोरनि प्याइहौं ||
{गीता.[बाल] 048.03} सादर समाचार नृप बुझिहैं, हौं सब कथा सुनाइहौं |
{गीता.[बाल] 048.03} तुलसी ह्वै कृतकृत्य आश्रमहिं राम लषन लै आइहौं ||
{गीता.[बाल] 049.राग} नट
{गीता.[बाल] 049.01} देखि मुनि! रावरे पद आज |
{गीता.[बाल] 049.01} भयो प्रथम गनतीमें अबतें हौं जहँ लौं साधु समाज ||
{गीता.[बाल] 049.02} चरन बन्दि, कर जोरि निहोरत, "कहिय कृपा करि काज |
{गीता.[बाल] 049.02} मेरे कछु न अदेय राम बिनु, देह-गेह सब राज||
{गीता.[बाल] 049.03} भली कही भूपति त्रिभुवनमें को सुकृती-सिरताज? |
{गीता.[बाल] 049.03} तुलसि राम-जनमहितें जनियत सकल सुकृत को साज ||
{गीता.[बाल] 050.01} राजन! राम-लषन जो दीजै |
{गीता.[बाल] 050.01} जस रावरो, लाभ ढोटनिहूँ, मुनि सनाथ सब कीजै ||
{गीता.[बाल] 050.02} डरपत हौ साँचे सनेह-बस सुत-प्रभाव बिनु जाने |
{गीता.[बाल] 050.02} बूझिय बामदेव अरु कुलगुरु, तुम पुनि परम सयाने ||
{गीता.[बाल] 050.03} रिपु रन दलि, मख राखि, कुसल अति अलप दिननि घर ऐहैं |
{गीता.[बाल] 050.03} तुलसिदास रघुबंसतिलककी कबिकुल कीरति गैहैं ||
{गीता.[बाल] 051.01} रहे ठगिसे नृपति सुनि मुनिबरके बयन |
{गीता.[बाल] 051.01} कहि न सकत कछु राम-प्रेमबस, पुलक गात, भरे नीर नयन ||
{गीता.[बाल] 051.02} गुरु बसिष्ठ समुझाय कह्यो तब हिय हरषाने, जाने सेष-सयन |
{गीता.[बाल] 051.02} सौम्पे सुत गहि पानि, पाँय परि, भूसुर उर चले उमँगि चयन ||
{गीता.[बाल] 051.03} तुलसी प्रभु जोहत पोहत चित, सोहत मोहत कोटि मयन |
{गीता.[बाल] 051.03} मधु-माधव-मूरति दोउ सँग मानो दिनमनि गवन कियो उतर अयन ||
{गीता.[बाल] 052.राग} सारङ्ग
{गीता.[बाल] 052.01} ऋषि सँग हरषि चले दोउ भाई |
{गीता.[बाल] 052.01} पितु-पद बन्दि सीस लियो आयसु, सुनि सिष आसिष पाई ||
{गीता.[बाल] 052.02} नील पीत पाथोज बरन बपु, बय किसोर बनि आई |
{गीता.[बाल] 052.02} सर धनु-पानि, पीत पट कटितट, कसे निखङ्ग बनाई ||
{गीता.[बाल] 052.03} कलित कण्ठ मनि-माल, कलेवर चन्दन खौरि सुहाई |
{गीता.[बाल] 052.03} सुन्दर बदन, सरोरुह-लोचन, मुखछबि बरनि न जाई ||
{गीता.[बाल] 052.04} पल्लव, पङ्ख, सुमन सिर सोहत क्यों कहौं बेष-लुनाई ?
{गीता.[बाल] 052.04} मनु मूरति धरि उभय भाग भै त्रिभुवन सुन्दरताई ||
{गीता.[बाल] 052.05} पैठत सरनि, सिलनि चढ़ि चितवत, खग-मृग-बन रुचराई |
{गीता.[बाल] 052.05} सादर सभय सप्रेम पुलकि मुनि पुनि-पुनि लेत बुलाई ||
{गीता.[बाल] 052.06} एक तीर तकि हती ताडका, बिद्या बिप्र पढ़ाई |
{गीता.[बाल] 052.06} राख्यो जग्य जीति रजनीचर, भै जग-बिदित बड़ाई ||
{गीता.[बाल] 052.07} चरन-कमल-रज-परस अहल्या, निज पति-लोक पठाई |
{गीता.[बाल] 052.07} तुलसिदास प्रभुके बूझे मुनि सुरसरि कथा सुनाई ||
{गीता.[बाल] 053.राग} नट
{गीता.[बाल] 053.01} दोउ राजसुवन राजत मुनिके सङ्ग |
{गीता.[बाल] 053.01} नखसिख लोने, लोने बदन, लोने लोने लोयन,
{गीता.[बाल] 053.01} दामिनि-बारिद-बरबरन अंग ||
{गीता.[बाल] 053.02} सिरनि सिखा सुहाइ, उपबीत पीत पट, धनु-सर कर, कसे कटि निखङ्ग |
{गीता.[बाल] 053.02} मानो मख-रुज निसिचर हरिबेको सुत पावकके साथ पठये पतङ्ग ||
{गीता.[बाल] 053.03} करत छाँह घन, बरषैं सुमन सुर, छबि बरनत अतुलित अनङ्ग |
{गीता.[बाल] 053.03} तुलसी प्रभु बिलोकि मग, लोग, खग-मृग प्रेम मगन रँगे रुप-रङ्ग ||
{गीता.[बाल] 054.राग} कल्याण
{गीता.[बाल] 054.01} मुनिके सङ्ग बिराजत बीर
{गीता.[बाल] 054.01} काकपच्छ धर, कर कोदण्ड-सर, सुभग
{गीता.[बाल] 054.01} पीतपट कटि तूनीर ||
{गीता.[बाल] 054.02} बदन इंदु, अंभोरुह लोचन, स्याम गौर
{गीता.[बाल] 054.02} सोभा-सदन सरीर |
{गीता.[बाल] 054.02} पुलकत ऋषि अवलोकि अमित छबि, उर न
{गीता.[बाल] 054.02} समाति प्रेमकी भीर ||
{गीता.[बाल] 054.03} खेलत, चलत,करत मग कौतुक, बिलँबत
{गीता.[बाल] 054.03} सरित-सरोबर-तीर |
{गीता.[बाल] 054.03} तोरत लता, सुमन, सरसीरुह, पियत
{गीता.[बाल] 054.03} सुधासम सीतल नीर ||
{गीता.[बाल] 054.04} बैठत बिमल सिलनि बिटपनि तर, पुनि पुनि बरनत छाँह समीर |
{गीता.[बाल] 054.04} देखत नटत केकि, कल गावत मधुप, मराल, कोकिला, कीर ||
{गीता.[बाल] 054.05} नयननिको फल लेत निरखि खग, मृग, सुरभी, ब्रजबधू, अहीर |
{गीता.[बाल] 054.05} तुलसी प्रभुहि देत सब आसन निज निज मन मृदु कमल कुटीर ||
{गीता.[बाल] 055.राग} कान्हरा
{गीता.[बाल] 055.01} सोहत मग मुनि सँग दोउ भाई |
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