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एक सूरज के थकने के संग
कितना कुछ थक गया.
थक गई गईं चिड़ियाँ
थक गईं लड़कियाँ
जुगाली पड़ी गैया.
उसकी सोच नहीं थकी
टँग गई हैं उसकी आँखे
विग्ज़्त विगत और आगत के छोरों परटंगी टँगी रहेंगी.
पौ फटने तक.
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