1,223 bytes added,
16:10, 31 जनवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
“पिंडलि पर आँकू”, कहा श्याम “लतिका दल में खद्योत लिये।
नव कदलि-खम्भ मृदु पीन-जघन पर पुष्पराग दूँ पोत प्रिये!
विरॅंचू नितम्ब पर नवल नागरी व्रजवनिता बेचती दही।
पदपृष्ठप्रान्त में अलि-शुक-मैना मीन-कंज-ध्वज-शंख कही्।
फिर बार-बार बाँधू केहरि-कटि पर परिधान नवल धानी।
अन्तर्पट पर रच दूँ लिपटी केशव-कर में राधा रानी।”
हो चतुर चितेरे! कहाँ, विकल बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥54॥
</poem>