भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हनुमान चालीसा / तुलसीदास

3 bytes added, 02:55, 22 अक्टूबर 2006
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
श्रीगुरू चरण सरोज रज, नीज मनु मुकुर निज मन मुकुरु सुधारि,<br>बरनऊ रघुवर बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फ़ल फल चारि ॥1॥<br><br>
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ सुमिरौं पवन कुमार,<br>बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहू हरहु कलेस विकार बिकार ॥2॥<br><br>
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,<br>