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श्रीगुरू चरण सरोज रज, नीज मनु मुकुर निज मन मुकुरु सुधारि,<br>बरनऊ रघुवर बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फ़ल फल चारि ॥1॥<br><br>
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ सुमिरौं पवन कुमार,<br>बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहू हरहु कलेस विकार बिकार ॥2॥<br><br>
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,<br>
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