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11:16, 6 जुलाई 2006 लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]
[[Category:महादेवी वर्मा]]
यह व्यथा की रात का कैसा सबेरा है ?<br><br>
ज्योति-शर से पूर्व का<br>
रीता अभी तूणीर भी है,<br>
कुहर-पंखों से क्षितिज<br>
रूँधे विभा का तीर भी है,<br>
क्यों लिया फिर श्रांत तारों ने बसेरा है ?<br><br>
छंद-रचना-सी गगन की<br>
रंगमय उमड़े नहीं घन,<br>
विहग-सरगम में न सुन<br>
पड़ता दिवस के यान का स्वन,<br>
पंक-सा रथचक्र से लिपटा अँधेरा है ।<br><br>
रोकती पथ में पगों को<br>
साँस की जंजीर दुहरी,<br>
जागरण के द्वार पर<br>
सपने बने निस्तंद्र प्रहरी,<br>
नयन पर सूने क्षणों का अचल घेरा है ।<br><br>
दीप को अब दूँ विदा, या<br>
आज इसमें स्नेह ढालूँ ?<br>
दूँ बुझा, या ओट में रख<br>
दग्ध बाती को सँभालूँ ?<br>
किरण-पथ पर क्यों अकेला दीप मेरा है ?<br><br>
यह व्यथा की रात का कैसा सबेरा है ?<br><br>